tourist places of ujjain in hindi | उज्जैन के प्रमुख दर्शनीय स्थल – MP

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tourist places of ujjain in hindi
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महांकाल नगरी उज्जैन के प्रमुख दर्शनीय स्थल (tourist places of ujjain in hindi) :

मध्य प्रदेश का सबसे धार्मिक स्थल है उज्जैन जिसे महांकाल कि नगरी कहा जाता है इस पोस्ट में उज्जैन के दर्शनीय स्थल (tourist place) जैसे महाकालेश्वर मन्दिर (mahankaleshwar temple), चिंतामण गणेश मंदीर ,सिद्धवट, संदीपनी आश्रम और वेद्शाला (vedhshala ujjain) आदि के बारे में जानकारी (tourist places of ujjain in hindi) इस पोस्ट में माध्यम से दी है…..

tourist places of ujjain in hindi :

  • उज्जैन बनारस, गया और कांचीपुरम के समान ही एक महान धार्मिक केंद्र है। उज्जैन ने वैष्णववाद ,शैववाद और इनके अलावा विभिन्न पंथ और संप्रदाय जैसे जैन धर्म और बौद्ध धर्म के शहर के रूप में अपनी जगह बनाई है।
  • इसके साथ ही स्कंद पुराण के अवंति खंड में माँ शक्ति और उनके विभिन्न रूपों का उल्लेख मिलता है।
  • नाथ पंथ के तांत्रिकों के द्वारा किये अपराध भी उज्जैन में ही पनपे है।
  • भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकाल ज्योतिर्लिंग उज्जैन में है यह ज्योतिर्लिंग स्वयंभू हैं। यह दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। कई तांत्रिक परम्परा केवल महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में पाई जाती है।
  • तीसरी मंजिल पर भगवान नागचंद्रेश्वर की मूर्ति है जिसके दर्शन केवल नागपंचमी के दिन ही होते है।

इतिहास (History) :

  • इस शहर का इतिहास शानदार रहा है। प्राचीन धार्मिक पुस्तकों के अनुसार इस शहर ने कभी काल के देवता को नहीं देखा है, क्योकि यहाँ स्वयं कालों के काल महाकाल निवास करते हैं।
  • उज्जैन ऐतिहासिक और 5000 वर्ष प्राचीन शहर है।
  • उज्जैन को जहाँ आदि ब्रह्म पुराण में सबसे अच्छे शहर के रूप में वर्णित किया है|
  • वही अग्निपुराण और गरुड़ पुराण में इसे मोक्षदा और भक्ति-मुक्ति का केंद्र कहा है।
  • प्राचीन इतिहास में यह शहर एक बड़े साम्राज्य की राजधानी रहा था।
  • एक अन्य पुराण गरुड़ पुराण के अनुसार अवंतिका (उज्जैन) शहर उन सात शहर शामिल है जो इन्सान को मोक्ष प्रदान करते हैं लेकिन उन सब में भी उज्जैन का महत्व अन्य शहरों की तुलना में अधिक है।
  • यह शहर सात मुक्ति प्रदान करने वाले शहरों में से एक है, यहाँ हरसिद्धि और गढ़कालिका दो शक्ति पीठ है और यही पर पवित्र सिह्न्स्थ कुंभ का आयोजन होता है।
  • सिंहस्थ कुम्भ का आयोजन प्रत्येक बारह वर्ष में होता है जिसमे विश्व भर से करोड़ो की संख्या में भक्तजन हिस्सा लेने आते है|
  • उज्जैन इतने वर्षो के उपरांत भी आस्था और विश्वास का एक मजबूत केंद्र बना हुआ है |

रामघाट:

यही पर भगवान श्रीराम ने स्वयं अपने पिता राजा दशरथ का अंतिम संस्कार किया था और जिस स्थान पर वह अनुष्ठान किया गया था उसे “रामघाट” कहा जाता है। रामघाट पर ही सिंहस्थ का शाही स्नान होता है।

पुराणों में उज्जैन के कई नाम हैं जिनमे से कुछ प्रमुख नाम इस प्रकार है :

  1. उज्जैनी
  2. प्रतिपाल
  3. पद्मावती
  4. अवंतिका
  5. कुमुदवती
  6. विशाला
  7. कुशस्थति
  8. भोगवती
  9. अमरावती

उज्जैन से प्राचीन इतिहास के कई महान विद्वानों जैसे कालिदास, वराहमिहिर, बाणभट्ट, राजशेखर, पुष्पदंत, शंकराचार्य, वल्लभाचार्य, भर्तृहरि, दिवाकर, कात्यायन और बाण आदि का सीधा जुड़ाव रहा है। इनके अलावा कई राजा महाराजाओ का उज्जैन से लगाव रहा है |
इनमे कुछ प्रमुख के तथ्य इस प्रकार है :

    1. राजा विक्रमादित्य ने इसे अपनी राजधानी बनाया |
    2. कालिदास जो कि महान विद्वान ओड संस्कृतक थे राजा विक्रमादित्य के दरबार के नौ रत्नों में शामिल थे।
    3. राजा भर्तहरी ने “वैराग्य दीक्षा” यही पर ली थी।
    4. अवंतिका को महान मुगल सम्राट अकबर ने अपनी क्षेत्रीय राजधानी बनाया था।
    5. 18 वीं शताब्दी से पहले यहां मराठों ने शासन किया था।
    6. इल्तुतमिश ने 1235 में आक्रमण कर लूट लिया।
    7. सिंधिया राजाओ ने 1810 में अपनी राजधानी उज्जैन से ग्वालियर स्थानांतरित कर दी थी।

इन सबके अलावा उज्जैन सदियों से हिंदू, जैन और बुद्ध धर्म के धर्म प्रचारको के लिए एक विशेष केंद्र रहा है।

  • स्कंदपुराण में उज्जैन का वर्णन मिलता है जिसमे इसे मंगल गृह की उत्पत्ति का स्थान माना गया है। अग्निपुराण के अनुसार, उज्जैन को मोक्ष देने वाला शहर कहा गया है। साथ ही इसे देवताओं का शहर भी कहा गया है।
  • स्कंदपुराण के एक अन्य वृतांत के अनुसार, उज्जैन में 6 विनायक, 8 भैरव , 64 योगिनियां और 84 महादेव हैं।
  • उज्जैन की सुंदरता की प्रशंसा करते हुए महान कवि कालिदास ने कहा हैं कि स्वर्ग का एक गिरा हुआ भाग उज्जैन है।

वैज्ञानिक और प्राकृतिक महत्व :

वैज्ञानिक रूप से उज्जैन एक महत्वपूर्ण केंद्र है। बाबा महाकाल के शहर से ही ज्योतिष विज्ञान की शुरुआत हुई थी और यही से इसका विकास हुआ। उज्जैन की वेधशाला ने भारत ही नही और विदेशी देशों को समय की गणना की करने प्रणाली प्रदान की है।

भौगोलिक दृष्टि :

  • उज्जैन समुद्र तल से 491.74 की ऊंचाई पर और 23.11 डिग्री उत्तरी देशांतर और 75.50 डिग्री पूर्वी अक्षांश पर स्थित है।
  • यह क्षिप्रा नदी और मालवा के पठार पर स्थित है |
  • उज्जैन का तापमान मध्यम होता है और यहाँ की जलवायु सुखद होती है।
  • कर्क रेखा उज्जैन से ही गुजरती है, जिसके केन्द्र के रूप में कर्कराजेश्वर मंदिर विद्यमान है।

उज्जैन के दर्शनीय स्थल (tourist places of ujjain) है जो की सूची इस प्रकार है :

श्री महाकालेश्वर मंदिर (Shri Mahankaleshwar Mandir) :

पुरे ब्रह्माण्ड व तीनों लोकों में जिन तीन शिवलिंगो को सबसे पूज्य माना गया है, उसमें से पृथ्वी लोक पर भगवान महाकाल की प्रधानता है जो कि साक्षत् रूप से उज्जैन में विराजमान है।

आकाशे तारकांलिंगम्, पाताले हाटकेश्वरम्।
मृत्युलोके महाकालं, सर्वलिंग नमोस्तुते।।

अर्थात आकाश में तारका लिंग, पाताल में हाटकेश्वर, तथा पृथ्वीलोक पर महाकाल सर्वोपरी है। और इनकी महानता सर्वव्यापी है। महाकाल तो महाकाल है वही जगत के स्रष्टा हैं।

वराह पुराण में कहा गया है कि “नाभिदेशे महाकालस्तन्नाम्ना तत्र वै हर:”।

शिव पुराण के अनुसार द्वादश ज्योतिर्लिंगों में महाकाल प्रसिद्ध है क्योंकि वे स्वयं कालों के काल हैं।

श्लोक –

सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्री शैले मल्लिकार्जुनम्। उज्जयिन्यां महाकलमो कारममलेश्वरम्।।
परल्यां बैजनाथं च डाकिन्यां भीमशंकरम्। सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारूकावने।।
वाराणास्यां तु विश्वेशं त्रंयबकं गौमती तटे। हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये।।
एतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रात: पठेन्नर:। सप्त जन्म कृतं पापं स्मरणेन विनश्यति।।

भारत को बारह ज्योतिर्लिंग सभी दिशाओ से घेरे हुए हैं। जैसे पूर्व में मल्लिकार्जुन,पश्चिम में सोमनाथ, उत्तर में केदारनाथ, दक्षिण में रामेश्वर और मध्य में स्वयं महाकाल है इसी प्रकार देश की प्रमुख दिशाओं और कोणों पर अन्य ज्योतिर्लिंग भी विराजमान हैं। इस सभी ज्योतिर्लिंगों में महाकाल ज्योतिर्लिंग ज्ञान एवं प्रकाश का प्रतीक हैं |
बाबा महाकाल ज्योतिर्गणना के केन्द्र हैं क्योकि बारह ज्योतिर्लिंग हैं, बारह आदित्य हैं, बारह माह एक वर्ष में हैं, बारह ग्रह हैं, एवं बारह गृह कुण्डली में हैं, ये सभी भारत को बारहवे भाव में स्थान रखते हैं, साथ ही ये सभी पुज्य हैं और अनादि काल से इनका पुजा अर्चन भी किया जा रहा हैं।

महाकालेश्वर मंदिर कि स्थिति :

  • विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर रामघाट से कुछ ही दूरी पर स्थित है।
  • इस ज्योतिर्लिंग की महत्ता और भी बढ़ जाती है क्योकि यह एक मात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है।
  • मंदिर के गर्भगृह में श्रीगणेश, श्री कार्तिकेय एवं मां पार्वती की चांदी की प्रतिमाएं उपस्थित हैं।
  • मन्दिर की आंतरिक छत पर एक रूद्रयंत्र है जो कि 100 किग्रा. चांदी से बना।
  • इस रूद्रयंत्र के ठीक नीचे बाबा महाकाल का ज्योतिर्लिंग स्थित है।
  • मन्दिर के द्वार के ठीक सामने नन्दी की प्रतिमा है।
  • देश भर के सभी ज्योतिर्लिंगों में से केवल इसी ज्योतिर्लिंग में प्रतिदिन सुबह 4.00 बजे बाबा महाकाल की भस्म आरती होती है।

स्कन्द पुराण के अवन्ति खण्ड में मंदिर निर्माण के बारे में कहा गया है कि-

महाकाल: सरिच्छिप्रा गतिश्चैव सुनिर्मला, उज्जयिन्यां विशालाक्षीं वास: कस्य न रोचते।।
स्नानं कृत्वा नरो यस्तु महानद्यां हि दुर्लभम। महाकालं नमस्कृतं नरो मृत्यं न शोचयेत्।।
जिसका अर्थ यह है कि “जहां महाकाल हो, क्षिप्रा का निर्मल बहता जल हो वह स्थान किसे प्रिय नही लगेगा। यहां स्नान करके महाकाल दर्शन कर लेने मात्र से मानव को मृत्यु की चिंता नही रहती।

श्री चिंतामन गणेश मंदिर (Shri Chintaman Ganesh Mandir):

  • यह मंदिर शहर से 7 कि.मी. दूरी पर स्थित है। मन्दिर में स्थित गणेश मूर्ति स्वयंभू है। गणेश जी की यह मूर्ति अति प्राचीन है यहां प्रत्येक बुधवार को दर्शनार्थियों की भीड़ लगी रहती है।
  • ऐसी मान्यता है कि इनके दर्शन से सभी इच्छाएँ पूरी हो जाती है, साथ ही उनकी सभी चिंताओ का हरण हो जाता है।
  • भारतीय संस्कृति में भगवान गणेश आ आव्हान सबसे पहले किसी भी शुभ कार्य में किया जाता है इसी के फलस्वरूप विवाह की आमंत्रण पत्रिका सबसे पहले चिंतामण गणेश को भेंट कि जाती है।

सिद्ध वट (Siddh Vat):

  • सिद्ध वट क्षिप्रा तट से 5 कि.मी. दूरी पर पर स्थित है, जो कि एक प्रसिद्ध सिद्ध स्थल है।
  • इस स्थान को पापमोचन तीर्थ की संज्ञा दी गर्इ है।
  • पुराणों में ऐसी मान्यता है कि सिद्धवट को माता पार्वती ने अपने हाथो से लगाया था व उसका पूजा भी कि थी|
  • यह स्थान मथुरा-वृन्दावन के बंशीवट ,गया के अक्षयवट तथा नासिक की पंचवटी के समान ही प्रसिद्ध है।
  • यहां नाथ सम्प्रदाय के साधुओं द्वारा पूजा की जाती है।
  • यहां पर पिंडदान, कालसर्प शांति , श्राद्ध, पिंड, तर्पण एवं त्रिपिंडी श्राद्ध करने का विशेष महत्व बताया गया है।

हरसिद्धि मंदिर (Harsiddhi Mandir) :

  • राजा विक्रमादित्य की आराध्य देवी थी हरसिद्धि। उज्जैन के सभी पवित्र एवं प्राचीन स्थलों में हरसिद्धि मंदिर का एक अलग ही महत्व है।
  • चौरासी सिद्धपीठों में से एक है यह मंदिर।
  • शिवपुराण के अनुसार माता सती की कोहनी इसी स्थल पर गिरी थी।
  • स्कन्दपुराण की एक कथा के अनुसार प्राचीन काल में चण्ड मुण्ड नामक दो राक्षसों ने अपने कृत्यों से सभी स्थानों पर आतंक मचा रखा था।
  • कुछ समय बाद उन दैत्यों ने कैलाश पर्वत पर भी उत्पात मचाना शुरू दिया।
  • भगवान शिव ने नन्दी और अन्य गणों को उन दैत्यों को हटाने के लिए भेजा लेकिन इन दोनों दानवों ने उन सब को घायल कर दिया।
  • भगवान शिव ने यह सब देखकर माता चंडी का स्मरण किया। भगवान शिव के स्मरण स्वरूप देवी प्रकट हुई तब भगवान शिव ने दोनों दैत्यों का वध करने का आदेश देवी चंडी को दिया तब देवी ने दोनों दानवों का वध कर दिया |
  • तब भगवान शिव ने प्रसन्न होकर कहा :

हरस्तामाह हे चण्डी संहृतौ दुष्ट दानवौ।
हरसिद्धि तो लोके नाम्ना ख्यातिं गगिष्यति।।
हे चण्डी, तुमने इन दुष्टों का वध किया है अत: समस्त लोक में तुम्हारा हरसिद्धि नाम प्रचलित होगा।

मंगलनाथ मंदिर(Mangalnath Mandir) :

  • मंगलनाथ मंदिर मंगल ग्रह की उत्पत्ति का स्थान है जो क्षिप्रा नदी के किनारे शहर से 5 कि.मी. दूरी पर स्थित है।
  • ऐसी मान्यता है कि मंगलवार के दिन यहां पूजा अर्चना करने से मंगल दोष दूर होता ह|
  • इस दोष को करवाने के लिए देश भर से दर्शनार्थियों यहाँ आते है।

काल भैरव मंदिर (Kaal Bhairav Mandir):

  • क्षिप्रा नदी के तट से 4 कि.मी. दूरी पर स्थित यह मंदिर अति प्राचीन है।
  • शैव मतों के प्रसिद्ध आठ भैरवों में से यह एक भैरव मन्दिर है इस मन्दिर में भैरव बाबा को मदिरा का भोग लगाया जाता है|
  • काल भैरव द्वारा मदिरा पान किया जाता है |

बडे गणेश मंदिर (Bada Ganesh Mandir) :

महाकालेश्वर मंदिर के समीप गणेश जी की बड़ी मूर्ति है। गणेश जी की मूर्ति के समीप ही पंचमुखी हनुमान जी की सप्तधातु निर्मित मूर्ति भी है।

सांदीपनि आश्रम (Sandeepani Aashram):

  • मंगलनाथ रोड़ पर सांदीपनि आश्रम स्थित है जो कि शहर से 05 कि.मी. दूरी पर है|
  • यहीं पर महर्षि सांदीपनि ने भगवान श्रीकृष्ण, बलराम तथा उनके परम सुदामा को विद्या प्रादान की थी।
  • सांदीपनि आश्रम में गोमती सरोवर है तथा उपवन है इस उपवन में महर्षि सांदीपनि की गद्दी है। यहाँ श्रीकृष्ण बलराम व सुदामा की मूर्तियां महर्षि सांदीपनि की मूर्ति के साथ में हैं।
  • इसके पास ही विष्णु सागर है। जिसे अंकपात के नाम से जाना जाता है। क्योंकि यहां पर भगवान श्री कृष्ण के पाद अर्थात चरणों का अंकन है।
  • ऐसा कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण सरोवर में अपनी पट्टी पर लिखे अंक को धोते थे। इसी कारण इसे अंकपात कहते है।

त्रिवेणी(नवग्रह मंदिर / Triveni Ujjain / Navgrah Mandir Ujjain) :

  • त्रिवेणी संगम जिसे नवगृह मन्दिर के नाम से भी जाना जाता है शहर से 5 कि.मी. दूरी पर उज्जैन इंदौर रोड़ पर स्थित है, इस स्थान पर नवग्रहों की प्राचीन मूर्तियां हैं।
  • प्रत्येक शनिचर अमावस्या के दिन सैकड़ो श्रद्धालुओ कि भीड़ रहती है जो स्नान करने के बाद शनि मंदिर व नवग्रहों के दर्शन करते हैं।
  • शनि देव के कुप्रभाव कम करने के लिए अधिकतर श्रद्धालु अपने पुराने वस्त्र एवं चप्पल-जूते (पनौती) यहीं छोड़ जाते हैं।

चौबीस खंबा मंदिर (Choubis Khamba Mandir):

  • महाकाल मंदिर के पास ही यह मंदिर स्थित है इस मंदिर में 24 खंभे हैं, इस कारण से इसे चौबीस खम्भा मन्दिर कहते है |
  • इस मन्दिर के द्वार अत्यन्त प्राचीन है, महालया तथा महामाया देवी की मूर्तियाँ मन्दिर के द्वार के दोनों ओर हैं। इस स्थान को भद्रकाली का स्थान भी कहते हैं।

राम-जनार्दन मंदिर (Ram Mandir Ujjain):

  • विष्णुसागर के पास श्री रामजनार्दन मंदिर है। विष्णुसागर अंकपात के पश्चिम में सांदीपनि आश्रम के पीछे है यहां एक मंदिर में श्रीराम लक्ष्मण व सीताजी की मूर्तियाँ हैं तथा दूसरे मंदिर में जनार्दन विष्णु की मूर्ति है।
  • यह एक अत्यंत रमणीय स्थल है इन मंदिरों ठीक सामने एक विशाल कुण्ड है।
  • राजा जयसिंह ने इन मन्दिरों का निर्माण 17 वीं शताब्दी में कराया था।
  • इन मन्दिरों के पास ही चित्रगुप्त व धर्मराज जी के मंदिर है।

वेधशाला (वेदशाला / Vedhshala):

  • उज्जैन शहर से 1 कि.मी. की दूरी पर वेधशाला स्थित है यह वेधशाला क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित है।
  • इस वेधशाला को जंतर-मंतर तथा यंत्रमहल के नाम से जाना जाता है|
  • लगभग 300 साल पहले जयपुर के राजा जयसिंह ने इस वेधशाला का निर्माण करवाया था|
  • यह ऐतिहासिक वेधशाला ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान रखती है।
  • ग्रहों का गणित जानने के उद्देश्य से राजा जयसिंह ने उज्जैन के अतिरिक्त जयपुर, काशी, मथुरा व दिल्ली में इस प्रकार की वैधशालाएँ बनवार्इ।
  • उज्जैन की वैधशाला में पहले सम्राट यंत्र, नाड़ीवलय यंत्र, भित्तियंत्र, दिगंश यंत्र चार प्रमुख यंत्र थे। तथा बाद में शंकु यंत्र लगाया गया।
  • सूर्य घड़ी से मिलने वाले स्थानीय समय को एक सारणी द्वारा स्टेण्डर्ड समय में सम्राट यंत्र द्वारा बदला जाता है।
  • ग्रह नक्षत्रों के दिगंश प्राप्त करने के लिए वैधशाला में दिगंश यंत्र का उपयोग किया जाता हैं।

नगरकोट की रानी (Nagar Kot Ki Rani):

  • शहर के दक्षिण पश्चिम कोने की सुरक्षा देवी नगरकोट की रानी है।
  • यहाँ एक मंदिर है जिसके सामने एक कुंड है जो परमारकालीन है।
  • इस परमारकालीन कुंड के दोनों ओर दो छोटे-छोटे मंदिर है।
  • नगर के प्राचीन परकोटे पर स्थित होने के कारण इसे नगरकोट की रानी कहा जाता हैं।

उज्जैन के प्रमुख समारोह (function of ujjain) :

श्रावण (सावन) सवारी (Savan Sawari) :

  • श्रावण (सावन) माह के हर सोमवार को भगवान महाकाल का जुलूस उज्जैन की सड़कों पर गुजरता है।
  • बाबा महाकाल की अंतिम सवारी बड़े धूमधाम से निकलती है और इस सवारी में लाखों भक्त जन शामिल होते है।

कालिदास समारोह (Kalidas Samaroh):

  • इस समारोह की शुरुआत वर्ष 1958 में हुई थी।
  • महाकवि कालीदास की स्मृति में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा इस समारोह की शुरुआत की गई |
  • प्रदेश सरकार द्वारा कालिदास के सम्मान में उज्जैन में कालिदास अकादमी की स्थापना की।

दर्शनीय स्‍थल (tourist places) :

  • श्री महाकालेश्वर
  • काल भैरव
  • नवगृह मन्दिर
  • कालियादेह पैलेस
  • हरसिद्धि मंदिर
  • मंगलनाथ मंदिर
  • वेधशाला
  • गोपाल मन्दिर
  • भर्तहरी की गुफा
  • गढ़कालिका का मन्दिर

प्रमुख व्यंजन (dishes of ujjain) :

  • पोहा
  • कचौरी
  • जलेबी
  • गुलाब जामुन
  • दाल बाफला
  • आलू बड़ा

उज्जैन पहुंच मार्ग (route of ujjain):

हम उज्जैन हवाई , सडक और रेलमार्ग तीनो से पहुच सकते है |

    • उज्जैन से देवी अहिल्याबाई होल्कर हवाई अड्डा जो कि इंदौर में स्थित है 53 किमी की दुरी पर है| जहाँ से देश के सभी बड़े शहरो के लिए नियमित उड़ानें उपलब्ध हैं।
    • पश्चिम रेलवे जोन का एक प्रमुख रेलवे स्टेशन उज्जैन है। यहाँ से देश के कई बड़े शहरों के लिए ट्रेन चलती हैं।
    • सड़क मार्ग से उज्जैन इंदौर, भोपाल, रतलाम, ग्वालियर, धार ,ओंकारेश्वर आदि से स्थानों से जुड़ा हुआ हैं। उज्जैन व उसके आसपास से कई राष्ट्रीय राजमार्ग और स्टेट हाईवे गुजरते है|
    • उज्जैन लोकल के लिए राज्य सरकार द्वारा सिटी बस संचालित की जाती है|

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