chanderi ka yudh in hindi | चंदेरी के युद्ध के बारे में जानकारी

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chanderi ka yudh in hindi | चंदेरी के युद्ध के बारे में जानकारी:

मध्यप्रदेश (madhya pradesh ) की धरा वीरो की धरा रही है इस धरा ने कई वीर सपुतो को जन्म दिया है जिन्होंने अपने अंतिम क्षण तक अपनी धरा की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया इन्ही वीर सपुतो में से एक है वीर राजपूत सम्राट मेदनी राय जो कि बाबर के भारत आगमन के दौरान चंदेरी (chanderi) के शासक थे बाबर और मेदनी राय के बीच चंदेरी का युद्ध लड़ा गया और इस युद्ध का इतिहास में अपना एक अलग महत्व है तो आइये जानते है चंदेरी के युद्ध (chanderi ka yudh in hindi) के बारे में….

शत्रु का मित्र भी शत्रु

बाबर के आगमन के दौरान सारे राजपूत सम्राट एक जुट थे जिसके कारण बाबर का दिल्ली की सत्ता पर काबिज रह पाना मुश्किल था इसी बात को ध्यान में रखते हुए बाबर ने सबसे पहले राणा सांगा के साथ खानवा का युद्ध लड़ा जिसमे उसे विजय हासिल हुई लेकिन बाबर ने इस बात को महसूस कर लिया था कि खानवा के युद्ध में राजपूतो की शक्ति पूरी तरह से स्पष्ट नही हो पाई है और राजपूतो की एक बड़ी शक्ति बची हुई थी खानवा के युद्ध में मेदनी राय और उनकी सेना ने भी हिस्सा लिया था और युद्ध में हार के बाद उनकी सेना वहां से निकलने में सफल हो गई थी इसी को ध्यान में रखते हुए बाबर ने 1528 ईस्वी में चंदेरी पर हमला कर दिया |

चंदेरी (chanderi) पर आक्रमण के कारण

मेदनी राय के द्वारा राणा सांगा की करना ही नही चंदेरी (chanderi) पर आक्रमण के कई अन्य कारण भी थे जो कि इस प्रकार है:

  1. उक्त समय चंदेरी (chanderi) धन धान्य से सम्पन्न राज्य था|
  2. चंदेरी (chanderi fort) का किला उस समय के सबसे सुरक्षित किलों में से एक माना जाता था|
  3. चंदेरी (chanderi) रेशम व्यापार मार्ग का एक महत्वपूर्ण शहर था जिस पर बाबर अपना नियन्त्रण रखना चाहता था|

दुसरे किले की पेशकश

बाबर के द्वारा मेदनी राय को यह संदेश भिजवाया गया कि वह मुगलिया सल्तनत के सामने चंदेरी का किला (chanderi fort) पेश करे और बदले में वह बाबर द्वारा जीते किसी भी किले को अपना ले बाबर के द्वारा भेजे गये सन्देश को राजपूत शासक मेदनी राय ने अपना अपमान समझा और उसने किला देने से मना कर दिया किला देने के इंकार ने मुगल सल्तनत को चंदेरी पर आक्रमण का बहाना दे दिया इसके बाद मुगल सल्तनत ने चंदेरी (chanderi) पर हमला कर दिया|

एक रात में पहाड़ी काटी

वर्ष 1528 में बाबर ने चंदेरी (chanderi) पर चढ़ाई कर दी लेकिन चंदेरी पर विजय पाना बाबर के लिए भी आसन नही था क्योकि चंदेरी (chanderi) का किला चारो तरफ ऊँची पहाड़ीयो और जंगल के बीच में था और बाबर यह जानता था कि यदि उसने जंगल पार कर भी लिया तो इतनी बड़ी सेना, बड़ी बड़ी तोंपे और हाथियों के लाव लश्कर को पहाड़ी पर ले जाना मुश्किल कार्य है और पहाडियों को पार करने पर राजपूती सेना से सामना करना पाना असम्भव कार्य था |

इसी बात तो ध्यान में रखते हुए उसने बाबर ने पहाड़ी को काटने का निर्णय लिया अपने शासक की महत्वकांक्षा को ध्यान में रखते हुए मुगल सेना ने एक ही रात में पूरी पहाड़ी को काटने का अविश्वसनीय कार्य कर दिया पहाडी को ऊपर से नीचे तक काट कर एक ऐसा रास्ता बना दिया जिसमें से हो कर पूरी सेना और साजो-सामान के साथ ठीक किले के सामने पहुँच गये।

राजपूतो द्वारा युद्ध की हुंकार

मेदनी राय जब सुबह उठे तो किले के सामने मुगल सेना को देखकर अचंभित हो गये लेकिन राजपूत राजा ने बिना घबराए कुछ चंद सिपाहियों के साथ बाबर की विशाल सेना से लौहा लेने का निर्णय लिया मुगल और राजपूत सेना में भीषण युद्ध हुआ|

राजपूत सेना के चंद जवानो ने मुगल सेना में आतंक मचा रखा था एक एक राजपूत सैनिक ने दस दस मुग़ल सैनिक के सिर काटे लेकिन मुगल सेना कि विशालता के आगे राजपूत सेना कमजोर पड गई जिसके बाद मेदनी राय को बंधक बना लिया गया युद्ध में हार के बाद मेदनी राय ने बाबर से सन्धि कर उसकी अधीनता स्वीकार कर ली मेदनी राय ने अपनी दो पुत्रियों का विवाह बाबर के पुत्र कामरान और हुंमायूं के साथ कर दिया|

क्षत्राणियों का जौहर

जब युद्ध में हार के बादल मंडराने लगे तो राजपूत क्षत्राणियों ने अपने आत्मसम्मान की रक्षा करने के उद्देश्य से स्वयं को आग के हवाले सौपने का निर्णय लिया जिसके लिए एक विशाल चिता का निर्माण किया गया और सभी क्षत्राणियों ने सुहागनों का शृंगार कर स्वयं को आग के हवाले कर दिया|

जब बाबर युद्ध के बाद किले के अंदर पहुचा तो उसके हाथ कुछ न लगा क्षत्राणियों के अविश्वसनीय कार्य से वह बोखला गया और उसने पुरे किला विध्वंश कर दिया|

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