मुग़ल शासक बाबर का इतिहास
History of Mugal ruler Babar : भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना का श्रेय बाबर को जाता है भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना 1526 में हुई थी ,मुगलों ने भारत पर लगभग दो शताब्दी से अधिक समय तक राज किया , तो आइये जानते भारत में मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर के बारे में ….
History of Mugal ruler Babar :
- उज्बेकिस्तान में फ़रग़ना के शेख के यहाँ 24 फरवरी, 1483 ई. को ‘ज़हीरुद्दीन मुहम्मद बाबर’ का जन्म हुआ था |
- उसके पिता का नाम उमरशेख मिर्जा था |
- उसकी माता का नाम कुतलुगनिगार खानुम था |
- बाबर अपनी माता की ओर से चंगेज खान का चौदहवां वंशज तथा पिता की ओर से तैमूर का पांचवा वंशज था |
- यह इस्लाम धर्म का अनुयायी था |
- बाबर की अनेक पत्नियाँ थी जिनके नाम आयशा जैनाब सुलतान बेगम,सुल्तान बेगम,मौसमा सुल्तान बेगम,मुबारका युरूफझाई,गुलरुख बेगम,दिलदार बेगम,गुलनार अघाचा,महम बेगम थे |
- बाबर के बच्चो के नाम हुमायूँ, कामरान मिर्ज़ा, अस्करी मिर्ज़ा, हिन्दाल मिर्ज़ा, फख्र-उन-निस्सा,गुलरंग बेगम,गुलबदन बेगम,अलतुन बिषइक थे |
- 8 जून 1494 ई में बाबर फरगाना की गद्दी पर बैठा |
- 1507 ई. में बाबर ने बादशाह की उपाधि धारण की, किसी तैमूर शासक के द्वारा ऐसा पहली बार किया गया था |
- बाबर की मातृभाषा चग़ताई भाषा थी साथ ही फारसी में भी वह महारत हासिल किये हुए था |
- बाबर ने मात्र 22 साल की उम्र में क़ाबुल पर अधिकार कर अफ़ग़ानिस्तान में राज्य कायम किया था |
- भारत पर बाबर ने पाँच बार आक्रमण किया था
- जिसमें उसने अपना पहला अभियान 1519 ई में यूसुफ जाई जाती के खिलाफ किया था।
- इस अभियान में उस ने बाजौर और भेरा को अपने अधिकार में ले लिया था।
- 1526 ई. में पानीपत के प्रथम युद्ध में दिल्ली सल्तनत के सुल्तान इब्राहीम लोदी की हार के साथ ही भारत में मुग़ल वंश की स्थापना हुई |
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- बाबर द्वारा लड़े गए प्रमुख युद्ध इस प्रकार है :-
- 21 अप्रैल, 1526 ई. को इब्राहिम लोदी और बाबर के बीच पानीपत का प्रथम युद्ध हुआ, जिसमें बाबर की जीता |
- 17 मार्च 1527 ई में राणा सांगा और बाबर के बीच खनवा का युद्ध हुआ, जिसमें बाबर की जीता |
- 29 मार्च 1528 ई में मेदनी राय और बाबर के बीच चंदेरी का युद्ध हुआ, जिसमें बाबर की जीता |
- 6 मई 1529 ई में अफगानो और बाबर के बीच घाघरा का युद्ध हुआ, जिसमें भी बाबर की जीता |
- पानीपत के प्रथम युद्ध में बाबर ने पहली बार तुग़लमा युद्ध नीति एवं तोपखाने का प्रयोग किया था |
- उस्ताद अली एवं मुस्तफा बाबर के दो प्रसिद्ध निशानेबाज थे,जिसने पानीपत के प्रथम युद्ध मे भाग लिया था |
- पानीपत युद्ध विजय के साथ ही बाबर ने भारत में मुगल वंश की नींव डाली |
- पानीपत के युद्ध के दौरान लूटे गए धन को बाबर ने अपने सैन्य अधिकारियों, नौकरों एवं रिश्तेदारों में बांट दिया. इसी बंटवारे में बाबर के बेटे हुमायूं को कोहिनूर हीरा प्राप्त हुआ, जिसे ग्वालियर नरेश ‘राजा विक्रमजीत’ से छीना गया था |
- बाबर प्रसिध्द नक्शबंदी सूफी ख्वाजा उबेदुल्ला अहरार का अनुयायी था।
- भारत विजय के ही उपलक्ष्य में बाबर ने प्रत्येक क़ाबुल निवासी को एक-एक चांदी का सिक्का उपहार स्वरूप प्रदान किया था |
- पानीपत युद्ध विजय जीतने के बाद बाबर ने ‘कलंदर ‘की उपाधि तथा ‘शाहरूख’की उपाधि धारण की थी।
- वही खानवा के युद्ध में विजय के बाद बाबर को गाजी की उपाधि दी गई | जिसमे उसने जेहाद का नारा दिया था |
- चंदेरी के युद्ध में 1528 ई में बाबर ने मेदनी राय को हराया था तथा इसके बाद अयोध्या के राम मंदिर को
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- ध्वस्त कर दिया गया | जहाँ उसके सिपहसलार मीर बाकि ने बाबरी मस्जिद का निर्माण करवाया था |
- बाबर ने अपनी आत्मकथा तुर्की भाषा में ‘तुजुक-ए-बाबरी’ (बाबरनामा) के नाम से लिखी थी।
- बाबर पहला सम्राट था,जिसने अपनी आत्मकथा स्वयं लिखी थी। जिसमे उसने अपने जीवन की तमाम नाकामियों और कामयाबियों के बारे में लिखा है।
- इसने आगरा ( उत्तर प्रदेश) में एक सुंदर सा बगीचा भी बनवाया था
- जहाँ वह अपनी जीत का जश्न मनाया करता था ।
- बाबर ने जामा मस्जिद, बाबरी मस्जिद,पानीपत की मस्जिद आदि इमारतें बनवाई थी |
- बाबर को मुबईयान नाम की पद्द शैली का जन्मदाता भी कहा जाता है |
- इसने 1526-1530 ई तक भारत में राज किया |
- बाबर की वीरता के साथ साथ उसकी क्रूरता के भी कई किस्से इतिहास में दर्ज है |
- बाबर नामा आत्मकथा का फ़ारसी भाषा में अनुवाद ‘अब्दुलरहीम खान-ए-खाना’ ने किया था।
- इसके पास इतनी बड़ी सेना भी थी, कि कोई भी शासक बाबर को चुनौती देने से डरता था।
- 27 सितंबर में 1530 ई को 48 साल में आगरा में बाबर की मृत्यु हो गई |
- बाबर के शव को पहले आगरा के आरामबाग में दफनाया गया
- उसके बाद उसके द्वारा चुने गये स्थान पर उसे दफनाया गया था |