हुमायूँ का इतिहास :
History of Humayun : हुमायूँ का इतिहास का इतिहास समृद्ध रहा है बाबर की मृत्यु के बाद उसका बेटा हुमायूं उसकी सल्तनत का शासक बना था. हुमायूं बाबर का सबसे बड़ा बेटा था , हुमायूं का भारत में मुगल शासन को स्थापित करने में महत्वपूर्ण योगदान रहा था हुमायूं के बारे में अन्य महत्वपूर्ण तथ्य इस प्रकार है –
History of Humayun fact in hindi :
- हुमायूं का जन्म 1508 ई में हुआ था | उसका पूरा नाम नसीरूद्दीन हुमायूं था |
- हुमायूं बाबर का सबसे बड़ा बेटा था , उसके चार भाई भी थे |
- बाबर के द्वारा हुमायूं को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया गया था |
- हुमायूं को महज़ 12 वर्ष की अल्पायु में बदख़्शां का सूबेदार नियुक्त कर दिया गया था |
- हुमायूं 29 दिसम्बर 1530 ई में आगरा में मात्र 23 वर्ष की आयु में राजगद्दी पर बैठा |
- अपने पिता की इच्छा के मुताबिक बाबर ने अपने राज्य का बंटवारा अपने चारो भाइयों के बीच कर दिया था |
- हुमायूं ने अफ़गानिस्तान, पाकिस्तान और उत्तर भारत के हिस्सों में शासन किया |
- उसने दो कालखंडों 1530-40 और 1555-56 में शासन किया था |
- हुमायूं ने 1533 ई में दीनपनाह नाम के नए नगर की स्थापना की थी |
- महमूद लोदी की अफगान सेना और हुमायूं की सेना के बीच 1532 ई. में दौहरिया युद्ध हुआ, जिसमें हुमायूं जीता |
- 26 जून, 1539 ई. को हुमायूं और शेरशाह सूरी के बीच ‘चौसा’ स्थान पर लड़ा गया था. जिसमे उसकी हार हुई युद्ध से हुमायूं अपनी जान बचाकर भाग निकला |
हुमायूँ का इतिहास :
- उसके बाद 1540 ई. में हुमायूं और शेरशाह सूरी के बीच बिलग्राम का युद्ध हुआ था
- बिलग्राम युद्ध में हुमायूँ की हार हुई और उसे भारत छोड़ना पड़ा |
- बिलग्राम युद्ध में हार के बाद हुमायूं सिंध चला गया जहां उसने उसने निर्वासित जीवन यापन किया |
- निर्वासन के दैरान वह सूफी वाद की और आकर्षित हुआ और वह सूफीसंत शेख मुहम्मद गौस के बड़े भाई शेख बहलोल का शिष्य बन गया |
- 29 अगस्त 1541 ई में हिंदाल के आध्यात्मिक गुरू फारसवासी शिया, मीर बाबा दोस्त उर्फ मीर अली अकबर जामी की बेटी हमीदा बानू बेगम से उसने निकाह कर लिया |
- हमीदा बानू की कोख से ही महान मुग़ल सम्राट अकबर का जन्म हुआ |
- उसके बाद दोबारा से हुमायूं ने भारत पर शासन करने के लिए युद्ध किये जिसमें उसे सफलता हासिल हुई और उसने दोबारा 23 जुलाई, साल 1555 में दिल्ली सल्तनत पर फिर कब्जा कर लिया |
- हुमायूं की जीवनी का नाम हुमायूँनामा है जो उनकी बहन गुलबदन बेग़म ने लिखी थी |
- 1 जनवरी 1556 को अपने दीन पनाह भवन में सीढ़ियों से गिरने से हुमायूं की मौत हो गई |
- हुमायूं की मौत के बाद उसकी बेगम हमीदा बानू ने “हुंमायूं के मकबरा” का निर्माण करवाया जो कि आज भी दिल्ली की ऐतिहासिक इमारतों में से एक है, और यह मुगलकालीन वास्तुकला का एक अद्भुत नमूना है।
- हुमायूं ने अपने जीवन काल में अनेक युद्ध लड़े जिनमे से कुछ प्रमुख इस प्रकार है :
- देवरा का युद्ध:- 1531 ई में
- चौसा का युद्ध:- 1539 ई में
- बिलग्राम:- 1540 में
- सरहिंद का युद्ध : 1555 ई में