हिल स्टेशन पचमढ़ी के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य (pachmarhi tourism in hindi) :
मध्य प्रदेश का एक मात्र हिल स्टेशन पचमढ़ी जाता है इस पोस्ट में पचमढ़ी के दर्शनीय स्थल (tourist place) जैसे पांडव गुफा (padava caves),जटाशंकर ,राजेंद्र गिरि ,प्रियदर्शिनी प्वाइंट (Priyadarshini Point) और सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान (Satpura National Park) बारे में जानकारी (pachmarhi tourism in hindi) इस पोस्ट में माध्यम से दी है…..
pachmarhi tourism in hindi :
- मध्य प्रदेश का एक मात्र हिल स्टेशन जिसे पचमढ़ी (pachmarhi tourism) ने नाम से जाना जाता है होशंगाबाद जिले में स्थित है पचमढ़ी सागर तल से 1067 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। पचमढ़ी का तापमान जहाँ सर्दियों में 4.5 डिग्री सेल्सियस होता है वही गर्मियों में अधिकतम 35 डिग्री सेल्सियस होता है। पचमढ़ी की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि आप किसी भी मौसम में यहाँ जा सकते हैं।
- अपने खुबसुरत स्थलों और सतपुड़ा श्रेणियों के बीच होने के कारण पचमढ़ी को सतपुड़ा की रानी भी कहा जाता है।
- पचमढ़ी में घने जंगल, बड़े बड़े जलप्रपात हैं। जिसके कारण यहाँ का दृश्य देखते ही बनता है साथ ही पचमढ़ी में स्थित गुफाओ का पुरातात्विक महत्व हैं क्योंकि इन गुफाओं में प्राचीन शैलचित्र मिले हैं। इतने घने जंगलो और जलप्रपातो से भरपूर प्राकृतिक संपदाओ को पचमढ़ी राष्ट्रीय उद्यान के रूप में संजो कर रखने की कोशिस की गई है। यहां पर अनेक जंगली जानवर देखने को मिल जाते है जिनमे गौर, तेंदुआ, भालू, भैंसा प्रमुख रूप से हैं।
सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान (Satpura National Park):
जैव सांस्कृतिक विविधता से संपन्न सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान को वर्ष 1981 में बनाया गया इसका क्षेत्रफल 524 वर्ग किमी. है। यहा सागौन, साल और मिश्रित वन प्रमुखता से दिखाई देते हैं। यह प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है।
यहाँ पर बाघ अच्छी संख्या में पाये जाते है, साथ ही तेंदुए भी पूरे उद्यान में पाए जाते हैं। इनके अलावा सांभर, चीतल, चिंकारा, माऊस डीअर , भौंकनेवाले हिरण ,नीलगाय, चौसिंघा, लंगूर, जंगली कुत्ते, सियार, लोमड़ी, जंगली बिल्ली जैसे अन्य जीव भी पाए जाते हैं। अन्य लुप्तप्राय प्रजातियों में भारतीय बायसन (गौर), भारतीय विशाल गिलहरी और गिरगिट भी यहाँ पाए जाते हैं।
जटाशंकर (JataShankar):
पचमढ़ी से करीब 1.5 किमी. दूरी पर स्थित यह गुफा एक पवित्र गुफा है। मंदिर में प्राकृतिक रूप से एक शिवलिंग बना हुआ है। यहां पर एक मंदिर में चट्टान पर बनी हनुमानजी की मूर्ति भी स्थित है और पास ही में हार्पर की गुफा भी है। इन मनोरम दृश्यों का लुफ्त उठाने के लिए आपको पैदल ही इस गुफा तक आना पड़ेगा।
पांडव गुफा (Pandava Cave):
जैसा कि नाम से पता चल रहा है कि यह गुफाये महाभारत काल की मानी जा रही है जिनकी संख्या पांच हैं| ये गुफाएं पांच छोटी पहाड़ियों का समूह हैं। ऐसा माना जाता है कि अपने निष्कासन काल के दौरान पांडवों ने इन्ही गुफाओ में शरण ली थी। ज्यादातर गुफाओं का आकार छोटा ही है। परन्तु तुलनात्मक रूप से बड़ी गुफा जिसमें हवा का पर्याप्त प्रवाह है उसे द्रौपदी गुफा कहा जाता है।
परन्तु कुछ पुरातत्वविदो का कहना है कि यह गुफाएं गुप्तकाल की हैं इन्हें बौद्ध भिक्षुओं द्वारा बनवाया गया था। पर ज्यादातर आम जन पांडव कालीन गुफा को ही सच मानते है |
प्रियदर्शिनी प्वाइंट (Priyadarshini Point):
पचमढ़ी से लगभग 5 से 6 किमी की दूरी पर प्रियदर्शिनी प्वाइंट (Priyadarshini Point, Pachmarhi) स्थित है। यह सतपुड़ा पहाड़ियों का सबसे ऊंचा प्वाइंट है। कैप्टन जेम्स फोरसिथ ने प्रियदर्शिनी प्वाइंट की खोज की थी। पहले इसे फोरसिथ प्वाइंट कहा जाता था परन्तु बाद में इसका नाम बदलकर प्रियदर्शिनी प्वाइंट रखा गया।
फोरसिथ प्वाइंट का नाम प्रियदर्शिनी प्वाइंट इसलिए रखा गया है क्योकि यह स्थान भारत की पहली महिला प्रधानमन्त्री श्रीमती इंदिरा गांधी को अत्यधिक पसंद थी। वे अक्सर इस स्थान पर घूमनी आती रहती थी। क्योकि श्रीमती इंदिरा गांधी को बचपन में सब प्रियदर्शनी नाम से पुकारते थे इस कारण से इसे प्रियदर्शिनी प्वांइट कहा जाने लगा।
प्रियदर्शिनी प्वाइंट से सूर्यास्त का दृश्य देखना एक अद्भुत सुकून प्रदान करता है। यहाँ से तीन पहाड़ी शिखर चौरादेव, महादेव तथा धूपगढ़ दिखाई देते हैं। यहां की सबसे ऊंची चोटी धूपगढ़ है।
राजेंद्र गिरि (Rajendra Giri):
इस पहाड़ी का नाम भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के नाम पर रखा गया है क्योकि डॉ. राजेंद्र प्रसाद यहां आकर कुछ समय के लिए रुके थे। साथ ही उनके लिए रविशंकर भवन भी यहाँ बनवाया गया था।
अप्सरा विहार (Apsra Vihar):
पांडव गुफाओं से कुछ दुरी आगे चलने पर एक 30 फीट गहरा तालाब है जिसमें एक झरना आकर गिरता है। इस तालाब में नहाने और तैरने का आनंद पर्यटकों द्वारा लिया जाता है।
रजत प्रपात (Rajat Prapat):
- अप्सरा विहार से करीब आधा किमी. की दूरी पर स्थित है रजत प्रपात। तकरीबन 350 फुट की ऊंचाई से गिरता यह जलप्रपात एक मनोरम दृश्य आँखों के सामने प्रस्तुत करता है और पानी दूधिया चांदी सा दिखाई पड़ता है।
हांडी खोह (Handi khoh):
यह करीबन 300 फीट गहरी खाई है जो कि पचमढ़ी की सबसे गहरी खाई है। यह खाई घने जंगलों से ढकी हुई है और इन घने जंगलो के बीच से कल-कल बहते पानी की आवाज सुनाई पडती है जो कि कानो को एक अलग ही सुकून प्रदान करती है।
यहाँ की स्थानीय जनता इसे अंधी खोह भी कहते हैं पौराणिक किवदन्ती के अनुसार ऐसा कहते हैं कि भगवान शिव ने एक बड़े असुर रूपी सांप को चट्टानो के नीचे दबा कर रखा था।
कैसे पहुंचे पचमढ़ी (how to reach pachmarhi):
पचमढ़ी तक पहुचने के लिए हवाई , रेल और बस मार्ग का उपयोग किया जा सकता है|
- यहाँ का सबसे निकटतम हवाई अड्डा भोपाल में स्थित है।
- पिपरिया रेलवे स्टेशन से यह कुछ ही दुरी पर स्थित है।
- पचमढ़ी भोपाल, इंदौर ,होशंगाबाद, छिंदवाड़ा तथा पिपरिया से सीधा बस सेवा से जुड़ा हुआ है।
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