second carnatic war in hindi (कर्नाटक का द्वितीय युद्ध) :
इस पोस्ट के माध्यम से indian history के एक महत्वपूर्ण युद्ध जिसे कर्नाटक के द्वितीय युद्ध के नाम से जाना जाता है के बारे में समझाया है इस युद्ध से सम्बन्धित अनेक प्रश्नों को प्रतियोगी परीक्षाओ जैसे MPPSC, MPSI, PATWARI, SAMVIDA, VANRAKSHAK, AARAKSHAK, VYAPAM आदि प्रतियोगी परीक्षाओ में पूछा गया है इस पोस्ट में karnataka second war in hindi, second carnatic war between whom, second carnatic war date के बारे में बताया गया है तो आइये जानते है कर्नाटक का द्वितीय युद्ध के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य…
second carnatic war in hindi :
- वर्ष 1749 से 1754 तक कर्नाटक का दूसरा युद्ध चला|
- यह युद्ध कर्नाटक , हैदराबाद पर उत्तराधिकार के लिए लडा गया था।
- आसफ़जाह ने जहाँ दक्कन में एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना की और उसका उत्तराधिकारी बना। जिसे उसके भतीजे मुजफ़्फ़रजंग ने चुनौती दी|
- वही दूसरी ओर कर्नाटक में नवाबी के लिए अनवरुद्दीन तथा चन्दा साहब में संघर्ष शुरू हो गया|
- अंग्रेजो और फ़्रांसीसीयों ने अपने अपने विरोधियो के खिलाफ एक दुसरो को समर्थन दिया|
- जहाँ डूप्ले ने चन्दा साहब को कर्नाटक की नवाबी के लिए तथा दक्कन की सूबेदारी के लिए मुजफ्फरजंग का समर्थन किया।
- दूसरी ओर अंग्रेजो ने अनवरुद्दीन और नासिरजंग को अपना समर्थन प्रदान किया।
- मुजफ़्फ़र जंग, चन्दा साहब तथा डूप्ले की सेना ने वैल्लोर के समीप 1749 ई. में अनवरुद्दीन को हराकर उसकी हत्या कर दी|
- जिसके बाद मुजफ्फर जंग दक्कन का सूबेदार बन गया और उसने अपने नेतृत्व में फ्रेंच सेना की एक टुकडी हैदराबाद में तैनात कर दी।
- लेकिन कुछ समय बाद ही वह दक्कन की सूबेदारी हेतु अपने भाई नासिर जंग से पराजित हुआ|
- 1750 में नासिरजंग की संघर्ष में मृत्यु हो गई|
- उसके बाद मुजफ्फर जंग फिर से दक्कन का सूबेदार बन गया।
- दक्षिण भारत में फ्रांसीसियों का प्रभाव इस समय चरम पर था लेकिन अंग्रेज भी बदले की आग में जल रहे थे|
- इसी बीच राबर्ट क्लाइव मद्रास आया |
- वर्ष 1751 में 500 सिपाहियों के साथ धारवाड पर हमला करके उस पर कब्जा कर लिया।
- जिसमे फ्रांसीसी सेना को आत्मसमर्पण करना पड़ा और चन्दा साहब की हत्या कर दी गई।
- इस प्रकार यह क्लाइव की पहली कुटनीतिक विजय थी|
- इस हार के बाद डुप्ले को फ्रांस वापस बुला लिया तथा उसके स्थान पर गोदहे को भारत में फ़्रांसिसी प्रदेशो का गवर्नर जनरल 1 अगस्त 1754 को बनाया गया।
- इसके बाद वर्ष 1755 में फ़्रांसिसीयों और अंग्रेजों के बीच पाण्डिचेरी की संधि हुई|
- पाण्डिचेरी की संधि में दोनों पक्षों ने भारतीय राजाओं के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप ना करने का आश्वासन दिया।
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