भगवान शिव के प्रमुख प्रतीक | Symbols of lord Shiva in hindi

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symbols of lord shiva
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symbols of lord shiva :

भगवान शिव को अलग अलग नामो से जाना जाता है साथ ही भगवान शिव अलग अलग प्रतीकों से जुडे हुए है जिनमें भगवान शिव की गहरी रूचि है और जिन्हें वे हमेशा धारण करते है भगवान शिव के कुछ प्रमुख प्रतीक (symbols of lord shiva) इस प्रकार है …

अर्धचन्द्र

भगवान शिव अर्धचन्द्र को अपनी जटा में धारण करते है। इस कारण से उन्हें “चंद्रशेखर” या “सोम” भी कहा गया है|

गंगा

एक पौराणिक कथा के अनुसार,  शिव ने गंगा के प्रवाह को कम करने के लिए गंगा को अपनी जटाओ में समाहित किया था इस कारण से शिव गंगा नदी का स्रोत  है और उनकी जटाओं से बहती है।

जटा

भगवान शिव की जटा के उलझे हुए बाल पवन या वायु का प्रवाह का प्रतिनिधित्व करते है।

सर्प

भगवान शिव अपने गले में सर्प धारण करते हैं| सर्प उनके गले में तीन बार लिपटा रहता है जो कि भूत , भविष्य और वर्तमान का सूचक है| सर्पों को भगवान शिव के अधीन होना यह संकेत देता है कि भगवान शिव तमोगुण, दोष, विकारों के नियंत्रक व संहारक हैं। इस कारण उन्हें कालों का काल महाकाल भी कहा जाता है|

तीसरी आंख

भगवान शिव के सबसे महत्वपूर्ण प्रतीकों में से एक उनका तीसरा चक्षु है | ऐसा माना जाता है कि जब भगवान शिव बहुत क्रोध मे होते हैं तो उनका तीसरा चक्षु खुल जाता है और फिर प्रलय का आगमन होता है| इसी कारण उनके तीसरे चक्षु को ज्ञान और सर्व-भूत का प्रतीक कहा जाता है।

कुंडल

भगवान शिव  “अलक्ष्य” और “निरंजन” नाम  के कुण्डलो को धारण करते है | शिव के बाएं कान का कुंडल महिला स्वरूप और दाएं कान का कुंडल पुरूष स्वरूप है। अर्थात दोनों कानो में विभूषित कुंडल पुरुष और महिला दोनों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

नीलकंठ

भगवान शिव को नीलकंठ के नाम से भी जाना जाता है| समुद्र मंथन के दौरान निकले हलाहल विष को भगवान ने अपने गले में धारण किया था जिसके कारण उनका गला नीले रंग का हो गया था, तब से उन्हें नीलकंठ कहा जाने लगा|

रूद्राक्ष

रूद्राक्ष की माला भगवान शिव अपने गले में धारण करते है जो कि रूद्राक्ष के 108 बीजों से मिलकर बनी है| ‘रूद्राक्ष’ शब्द रूद्र और अक्श शब्द से मिलकर बना है , जहाँ ‘रूद्र’ जो कि शिव का दूसरा नाम है और वही ‘अक्श’ जिसका अर्थ है आँसू ।

त्रिशूल

भगवान शिव अपने हाथ में त्रिशूल धारण करते हैं| शिव का यह त्रिशूल मानव शरीर में मौजूद तीन मूलभूत नाड़ियों दाहिनी, बायीं और मध्य का सूचक है|

डमरू

भगवान शिव हाथ में डमरू धारण करते है इसी कारण भगवान शिव को “डमरू-हस्त” कहा जाता है| और डमरू जब हिलता है तो इससे “नाद” उत्पन्न होता है | और हिन्दू शास्त्रों के अनुसार, “नाद” सृजन का स्रोत है।

कमंडल

कमंडल हमेशा भगवान शिव से सटे हुए दिखाया जाता है| कमंडल को अमृत का प्रतीक माना गया है|

विभूति

भगवान शिव माथे और शरीर पर राख धारण करते है जिसे विभूति कहा जाता है , जो अमरता का प्रतिक है |

बाघ की खाल

बाघ शक्ति की देवी का वाहन है और साथ ही शक्ति और सत्ता का प्रतीक है | भगवान शिव खाल पहनते है और इसी पर बैठते हैं |

शिव लिंग

शिव लिंग भगवान शिव के अस्तित्व का प्रतिनिधित्व करता है इसीलिए प्रत्येक शिव मन्दिर में शिव मूर्ति के स्थान पर शिव लिंग रहत है |

नंदी

नंदी भगवान शिव के सबसे करीबी है। इसी वजह से है सभी शिव मंदिरों के बाहर नंदी को रखा जाता है। नंदी के कानो में  भगवान शिव के भक्त उनके कान में अपनी इच्छाओं को कहते है ताकि उनकी अरदास भगवान शिव तक पहुँच सके।

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