first carnatic war in hindi | कर्नाटक का प्रथम युद्ध – History

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first carnatic war in hindi (कर्नाटक का प्रथम युद्ध) :

इस पोस्ट के माध्यम से indian history के एक महत्वपूर्ण युद्ध जिसे कर्नाटक के प्रथम युद्ध के नाम से जाना जाता है के बारे में समझाया है इस युद्ध से सम्बन्धित अनेक प्रश्नों को प्रतियोगी परीक्षाओ जैसे MPPSC, MPSI, PATWARI, SAMVIDA, VANRAKSHAK, AARAKSHAK, VYAPAM आदि प्रतियोगी परीक्षाओ में पूछा गया है इस पोस्ट में karnataka first war in hindi, first carnatic war between whom, first carnatic war date के बारे में बताया गया है तो आइये जानते है कर्नाटक का प्रथम युद्ध के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य…

first carnatic war in hindi :

  • कर्नाटक का प्रथम युद्ध वर्ष 1746-48 में हुआ था |
  • इस युद्ध की पृष्ठभूमि 1940 में आस्ट्रिया के उत्तराधिकार को लेकर निर्मित हुई थी |
  • इंग्लॅण्ड और फ्रांस के बीच आस्ट्रिया पर उत्तराधिकार को लेकर युद्ध प्रारंभ हो गया था|
  • इसी युद्ध के कारण ही कर्नाटक का प्रथम युद्ध हुआ|
  • यूरोप में हुए किसी भी युद्ध का प्रभाव भारत में भी इन दोनों कंपनियों पर पड़ता था|
  • मध्य कर्नाटक में 1746 में आंग्ल-फ्रांसीसी कम्पनियों के मध्य युद्ध प्रारंभ हो जाता है |
  • ब्रिटिश नौसेना ने बारनैट के नेतृत्व में कुछ फ्रांसीसी जलपोतों पर कब्जा कर लिया|
  • डूप्ले जो की पांडिचेरी में फ्रेंच गवर्नर जनरल था ने मॉरीशस स्थित फ्रांसीसी गवर्नर ला बुर्डों की सहायता से ब्रिटिश स्वामित्त्व वाले मद्रास को थल मार्ग एवं जल मार्ग दोनों और से घेर लिया|
  • इसके कुछ ही वक्त पश्चात् मद्रास ने आत्मसमर्पण कर दिया था|
  • एक बहुत बड़ी धनराशि के बदले में ला बुर्डों ने मद्रास को वापस इंग्लॅण्ड को लौटा दिया किन्तु डूप्ले ने मद्रास को दोबारा जीत लिया|
  • लेकिन डूप्ले पांडिचेरी से 18 मील दुरी पर दक्षिण में स्थित फोर्ट सेन्ट डेविड नामक स्थान को जीतने में नाकाम रहा|
  • सेन्ट टोमे के युद्ध के लिए भी कर्नाटक का प्रथम युद्ध स्मरणीय है|
  • कर्नाटक के नवाब अनवरुद्दीन को डुप्ले ने यह वचन दिया था कि वह मद्रास को जीत कर नवाब को सौंप देगा लेकिन बाद में वह अपने वचन से मुकर गया|
  • जिससे नवाब अनवरुद्दीन ने नाराज हो गये और उन्होंने अपनी मांग स्वीकार करवाने के लिए एक विशाल सेना महफूज खां के नेतृत्व में डूप्ले के खिलाफ भेजी|
  • वही फ्रांसीसी सेना का नेतृत्व कैप्टन पेराडाइज ने किया था जिसने अपनी एक छोटी सी सेना के साथ मिलकर महफूज खां के नेतृत्व वाली विशाल सेना को अडियार नदी के समीप सेन्ट टोमे नामक स्थान पर पराजित कर दिया|
  • इसके बाद एला शापल की संधि 1748 में हुई जिससे यूरोप में आस्ट्रिया के उत्तराधिकार का युद्ध समाप्त हो गया|
  • इसी के साथ ही कर्नाटक का प्रथम युद्ध भी समाप्त हो गया और मद्रास दोबारा अंग्रेजों को प्राप्त हो गया|

इस युद्ध के कुछ महत्वपूर्ण असर इस प्रकार है-

  1. इस युद्ध से कोई राजनैतिक असर नही हुआ |
  2. उपरोक्त युद्ध में न फ़्रांस को फायदा हुआ और न ही इंग्लॅण्ड को |
  3. इस युद्ध के बाद नौसेना कि महत्ता बढ़ी |
  4. भारतीय सेना व् राजाओ की कमजोरियां पता लगी |
  5. दोनों सेना राज सत्ता को पाने की कोशिश में लगी |

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