परिचय / इतिहास :
संयुक्त राष्ट्र संघ (United Nations Organization) द्वारा विश्व– पर्यावरण दिवस (World Environment Day) मनाने की शुरूआत की गई थी विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) को मनाने की शुरूआत वर्ष 1973 से हुई सबसे पहली बार वर्ष 1972 लगभग 119 देशों के साथ संयुक्त राष्ट्र संघ ने स्वीडन में पहला पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया इस सभा में संयुक्त राष्ट्रं पर्यावरण कार्यक्रम का गठन हुआ और प्रत्येक वर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस मनाने का निश्चपय किया गया |
इसके बाद 19 नवंबर 1986 से पर्यावरण संरक्षण अधिनियम लागू हुआ जिसके अंतर्गत लोगों को जागरूक करने के लिए काई प्रकार के प्रयास किये जाते हैं जैसे कि पेड लगाना, लोगों को इनकी महत्व ता बताना आदि वर्ष 2017 में विश्व पर्यावरण की थीम “कनेक्टिंग पीपुल टू नेचर” रखी गई थी वर्तमान में प्रत्येक वर्ष 140 से अधिक देश हिस्सा लेते हैं, और इसमें कई सरकारी, सामाजिक और व्यावसायिक लोग पर्यावरण की सुरक्षा, समस्या आदि विषय पर चर्चा करते हैं।
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम / Fact of World Environment Day :
19 नवंबर 1986 से पर्यावरण संरक्षण अधिनियम लागू किया गया इसमें कई महत्त्वपूर्ण बिन्दुओ को सम्मिलित किया गया –
- पर्यावरण की गुणवत्ता मानकों को निर्धारित करना |
- पर्यावरण की गुणवत्ता के संरक्षण हेतु सभी आवश्यक क़दम उठाना |
- ऐसे क्षेत्रों का परिसीमन करना, जहाँ किसी भी उद्योग की स्थापना अथवा औद्योगिक गतिविधियां संचालित न की जा सकें |
- पर्यावरण सुरक्षा से संबंधित अधिनियमों के अंतर्गत राज्य-सरकारों, अधिकारियों और संबंधितों के काम में समन्वय स्थापित करना |
- उक्त-अधिनियम का उल्लंघन करने वालों के लिए कठोर दंड का प्रावधान भी है |
- पर्यावरण प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण और उपशमन हेतु राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम की योजना बनाना एवं उसे क्रियान्वित करना |
आधिकारिक तौर पर विश्व पर्यावरण दिवस ( World Environment Day ) पहली बार 5 जून 1974 को मनाया गया और तब इसकी थीम थी – “Only One Earth”
पर्यावरण के सन्दर्भ में महत्वपूर्ण तथ्य :
- भारत की गंगा और यमुना नदियों को दुनिया की 10 सबसे प्रदूषित नदियों में शुमार किया गया है – सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट
- दुनिया के 20 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में अकेले 13 शहर सिर्फ भारत में हैं.
- बिना पेपर और ई फाइलिंग के काम करने से हम लोग 1.4 ट्रिलियन पाउंड पेपर और 72800 पेड़ बचा सकते हैं.
- टॉयलेट पेपर इस्तेमाल हेतु हर साल करीब 27,000 पेड़ काटे जाते हैं.
- कागजों 6 बार से जादा ही रिसाइकिल नहीं किया जा सकता है
- भारत को हर साल प्रदूषण की वजह से करीब दो लाख करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पढ़ता है.