कंप्यूटर के प्रकार एवं पीढियां | Types of computers | Generations of computers

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परिचय :

कंप्यूटर विज्ञान में कंप्यूटर के प्रकार (Types of computers) को उनकी पिडियों के अंतर्गत निम्न तीन आधार पर विभिन्न भागो में वर्गीकृत किया गया है |

  1. हार्डवेयर के आधार पर (Types of computers Based On Hardware) :
  2. कार्यप्रणाली के आधार पर (Types of computers Based On Working) :
  3. आकार के आधार पर (Types of computers Based On Size) :

1. हार्डवेयर के आधार पर (Types of computers Based On Hardware) :

प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर (First Generations Types of computers) :

प्रथम पीढ़ी – 1942-1955
  • इस पीढ़ी के कंप्यूटर में निर्वात ट्यूब (vacuum tube) का प्रयोग किया गया था |
  • इनमें मशीन तथा मशीन लैन्गवेज का प्रयोग किया गया, संग्रहण हेतु पंचकार्ड का प्रयोग किया गया था |
  • ये कंप्यूटर अधिक ऊर्जा खपत करने वाले  और आकार में बहुत बड़े थे ।
  • एनिएक (ENIAC), यूनीवैक (UNIVAC) तथा आईबीएम (IBM) के मार्क-I इसके उदाहरण हैं।
  • सन् 1952 में डॉ. ग्रेस हापर द्वारा असेम्बली भाषा के विकास से प्रोग्राम लिखना कुछ आसान हो गया जो इस कंप्यूटर में प्रयोग की गई थी |

द्वितीय पीढ़ी के कंप्यूटर (Second Generations Types of computers) :

द्वितीय पीढ़ी – 1955-1964
  • इस पीढ़ी के की कंप्यूटर में निर्वात ट्यूब की जगह ट्रांजिस्टर का प्रयोग किया गया जो हल्के, छोटे और कम बिजली खपत करने वाले थे | इनकी गति तीव्र और त्रुटियां कम थी।
  • पंचकार्ड की जगह चुम्बकीय संग्रहण उपकरणों (magnetic storage devices) का प्रयोग किया गया था जिससे संग्रहण क्षमता में वृद्धि हुई।
  • बैच आपरेटिंग सिस्टम का आरंभ किया गया।
  • व्यापार तथा उद्योग में कंप्यूटर का प्रयोग आरंभ हुआ।
  • ट्रांजिस्टर का विकास वर्ष 1947 में बेल लैबोरेटरीज के जॉन वारडीन, विलियम शाकले तथा वाल्टर ब्रेटन ने किया था |
  • अर्द्धचालक पदार्थ सिलिकान या जर्मेनियम का बना ट्रांजिस्टर एक तीव्र स्विचिंग डिवाइस है।

तृतीय पीढ़ी के कंप्यूटर (Third Generations Types of computers) :

तृतीय पीढ़ी – 1964-1955
  • ट्रांजिस्टर की जगह इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) का प्रयोग शुरू हुआ जिसमें सैकड़ों इलेक्ट्रानिक उपकरण, जैसे—ट्रांजिस्टर, प्रतिरोधक (resister) और संधारित्र (capacitor) एक छोटे चिप पर थे |
  • प्रारंभ में SSI (Small Scale Integration) और बाद में MSI (Medium Scale Integration) का प्रयोग किया   गया |
  • इस पीढ़ी के कंप्यूटर वजन में हल्के, कम खर्चीले , तीव्र और अधिक विश्वसनीय थे |
  • चुम्बकीयटेप और डिस्क के भंडारण क्षमता में वृद्धि हुई तथा रैम (RAM—Random Access Memory) के कारण गति में वृद्धि हुई।
  • उच्च स्तरीय भाषा में पीएल-I (PL-I), पास्कल (PASCAL) तथा बेसिक (BASIC) का विकास
  • टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम का विकास हुआ।
  • हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर का उपयोग अलग अलग प्रारम्भ हुआ |
  • वर्ष 1965 में DEC—Digital Equipment Corporation द्वारा प्रथम व्यवसायिक मिनी कंप्यूटर पीडीपी-8 (Programmed Data Processor-8) का विकास किया गया।
  • इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) का विकास 1958 में जैक किल्बी तथा राबर्ट नोयी ने किया |
  • सिलिकान की सतह पर बने इस तकनीक  को माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक्स का नाम दिया गया |
  • ये चिप अर्धचालक पदार्थ  सिलिकान  या जर्मेनियम के बने होते हैं।
  • सॉफ्टवेयर में COBOL और FORTRAN जैसे उच्च स्तरीयभाषा का विकास आईबीएम द्वारा किया गया  | इससे प्रोग्राम लिखना आसान हुआ।

चतुर्थ पीढ़ी के कंप्यूटर (Fourth Generations Types of computers) :

चतुर्थ पीढ़ी – 1975-1989
  • LSI—Large Scale Integration तथा VLSI—Very Large Scale Integration चिप तथा माइक्रो प्रोसेसर के विकास से कंप्यूटर के आकार में कमी तथा क्षमता में वृद्धि हुई।
  • माइक्रो प्रोसेसर का विकास एम- ई- हौफ ने 1971 में किया
  • चुम्बकीय डिस्क और टेप का स्थान अर्धचालक (semi-conductor) मेमोरी ने ले लिया। रैम (RAM) की      क्षमता में वृद्धि से कार्य अत्यंत तीव्र हो गया।
  • उच्च गति वाले कंप्यूटर नेटवर्क, जैसे — लैन (LAN) व वैन (WAN) का विकास हुआ।
  • मल्टीमीडिया का प्रचलन प्रारंभ हुआ।
  • 1981 में IBM ने माइक्रो कंप्यूटर का विकास किया जिसे PC—Personal Computer कहा गया
  • सॉफ्टवेयर में GUI—Graphical User Interface के विकास ने कंप्यूटर के उपयोग को सरल बना दिया।
  • आपरेटिंग सिस्टम में MS-DOS, MS-Windows तथा Apple-OS का विकास हुआ।
  • उच्च स्तरीय भाषा में ‘C’ भाषा का विकास हुआ जिसमें प्रोग्रामिंग सरल था।
  • मूर के नियम के अनुसार, प्रत्येक 18 माह में चिप में उपकरणों की संख्या दुगनी हो जाएगी।
  • ULSI में एक चिप पर 1 करोड़ इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बनाए जा सकते हैं।

पंचम पीढ़ी के कंप्यूटर (Fifth Generations Types of computers) :

पंचम पीढ़ी – 1989 से….
  • ऑप्टिकल डिस्क –  सीडी के विकास ने संग्रहण क्षेत्र में क्रांति ला दी।
  • नेटवर्किंग के क्षेत्र में इंटरनेट, ई-मेल तथा www का विकास हुआ।
  • सूचना प्रौद्योगिकी तथा सूचना राजमार्ग की अवधारणा का विकास हुआ।
  • नए कंप्यूटर में कृत्रिम ज्ञान क्षमता (artificial intelligence) डालने के प्रयास चल रहे हैं ताकि कंप्यूटर परिस्थितियों के अनुकूल स्वयं निर्णय ले सके।
  • मैगनेटिक बबल मेमोरी के प्रयोग से संग्रहण क्षमता में वृद्धि हुई।
  • पोर्टेबल पीसी और डेस्क टॉप पीसी ने कंप्यूटर को जीवन के लगभग प्रत्येक क्षेत्र से जोड़ दिया

2. कार्यप्रणाली के आधार पर (Types of computers Based On Working) :

एनालॉग कंप्यूटर :

  •  इसमें विद्युत के एनालॉग रूप  का प्रयोग किया जाता है|
  •  इनकी गति अत्यंत धीमी होती है|
  •  अब इस प्रकार के कंप्यूटर प्रचलन से बाहर हो गए हैं|
  •  साधारण घड़ी, वाहन का गति मीटर (speedo meter) वोल्टमीटर आदि
  •  एनालॉग कम्प्यूटिंग के उदाहरण हैं।

डिजिटल कंप्यूटर :

  •  ये इलेक्ट्रॉनिक संकेतों पर चलते हैं|
  • गणना के लिए Binary system (0 या 1) का प्रयोग किया जाता है|
  • इनकी गति तीव्र होती है|
  • वर्तमान में प्रचलित अधिकांश कंप्यूटर इसी प्रकार के हैं।

हाइब्रिड कंप्यूटर :

  • यह डिजिटल व एनालॉग कंप्यूटर का मिश्रित रूप है|
  • इसमें गणना तथा प्रोसेसिंग के लिए डिजिटल रूप का प्रयोग किया जाता है|
  • जबकि इनपुट तथा आउटपुट में एनालॉग संकेतों का उपयोगहोता है|
  • इस तरह के कंप्यूटर का प्रयोग अस्पताल, रक्षा क्षेत्र व विज्ञान आदि में किया जाता है।

3. आकार के आधार पर (Types of computers Based On Size) :

मेन फ्रेम कंप्यूटर :

  •  ये आकार में काफी बड़े होते हैं |
  • माइक्रो प्रोसेसर की संख्या भी अधिक होती है |
  •  इनकी कार्य करने और Data संग्रहण करने की क्षमता  अधिक तथा गति अत्यंत तीव्र होती है |
  • एक साथ कई लोग अलग-अलग कार्य कर सकते हैं ।
  • Online रहकर बड़ी मात्रा में डेटा प्रोसेसिंग कि जा सकता हैं ।
  • उपयोगः बड़ी कम्पनियों, बैंक, रक्षा, अनुसंधान, अंतरिक्ष आदि के क्षेत्र में ।

मिनी कंप्यूटर :

  •  ये आकार में मेनफ्रेम कंप्यूटर से छोटे जबकि माइक्रो कंप्यूटर से बड़े होते हैं |
  •  इसका आविष्कार सन् 1965 में डीइसी (DEC—Digital Equipment Corporation) नामक  कंपनी ने किया ।
  •  एक से अधिक माइक्रो प्रोसेसर का प्रयोग किया जाता है ।
  •  संग्रहण क्षमता और गति अधिक होती है ।
  •  एक से अधिक यूजर एक साथ इसका उपयोग करते है |
  • उपयोगः यात्री आरक्षण, बड़े ऑफिस, कंपनी, अनुसंधान, आदि में

माइक्रो कंप्यूटर :

  •  इसका विकास सन् 1970 से प्रारंभ हुआ |
  •  इसका विकास सर्वप्रथम आईबीएम कंपनी ने किया |
  •  इसमें 8, 16, 32, या 64 बिट माइक्रो प्रोसेसर का प्रयोग किया जाता है |
  •  VLSI और ULSI से माइक्रो प्रोसेसर के आकार में कमी आई  |
  •  जिसके कारण इसकी क्षमता कई गुना बढ़ गयी है ।
  •  मल्टीमीडिया और इंटरनेट के विकास ने माइक्रो कंप्यूटर की उपयोगिता को हर क्षेत्र में  पहुंचा दिया है |
  • उपयोगः घर, आफिस, विद्यालय, व्यापार, उत्पादन, रक्षा, मनोरंजन, चिकित्सा आदि क्षेत्रो में

सुपर कंप्यूटर :

  •  यह सबसे अधिक शक्तिशाली और महंगा कंप्यूटर है ।
  •  इसमें Multi Processing और Parallel Processing का उपयोग किया जाता है |
  •  इस पर कई व्यक्ति एक साथ कार्य कर सकते हैं ।
  •  इसकी गणना क्षमता और मेमोरी अत्यंत उच्च होती है |
  •  विश्व का प्रथम सुपर कंप्यूटर क्रे- के–1एस (Cray K-1S) है जिसका निर्माण अमेरिका की
  •   Cray Research Company ने सन् 1979 में किया |
  • उपयोगः पेट्रोलियम उद्योग में तेल की खानों का पता लगाने, अंतरिक्ष अनुसंधान, मौसम विज्ञान, भू-गर्भीय सर्वेक्षण,स्वचालित वाहनों के डिजाइन तैयार करने, कंप्यूटर पर परमाणु भट्टियों केसबक्रिटिकल परीक्षण आदि में

भारत में सुपर कंप्यूटर :

  • भारत में परम सीरीज के सुपर कंप्यूटर ‘परम-10000’ का निर्माण सी-डैक (C-DAC—Centre for Development of Advanced Computing) पुणे द्वारा सन् 1998 में किया गया।
  • इसकी गणना की क्षमता 100 गीगा अर्थात् 1 खरब गणना प्रति सेकेंड थी।
  • इसके निर्माण का श्रेय सी-डैक के निदेशक विजय भास्कर को जाता है ।
  • सी-डैक ने ‘परम-पदम्’  नाम से भी सुपर कंप्यूटर का विकास किया है ।
  • इस तरह के सुपर कंप्यूटर विश्व के कुल पांच देशों- अमेरिका, जापान, चीन, इजराइल और भारत के पास ही उपलब्ध हैं ।
  • ‘अनुपम’ सीरीज के सुपर कंप्यूटर का विकास बार्क (BARC—Bhabha Atomic Research Centre), मुम्बई द्वारा जबकि ‘पेस’ (Pace) सीरीज के सुपर कंप्यूटर का विकास डीआरडीओ (DRDO—Defence Research and Development Organisation), हैदराबाद द्वारा किया गया

पर्सनल कंप्यूटर :

  • यह छोटे आकार के  सामान्य कार्यों के लिए बनाए गए कंप्यूटर है ।
  • एक बार में एक ही व्यक्ति (Single User) कार्य करता है।
  • पीसी को टेलीफोन और मॉडेम (Modem) की सहायता से आपस में या इंटरनेट से जोड़ सकते है ।
  • इसका आपरेटिंग सिस्टम एक साथ कई कार्य करने की क्षमता वाला (Multitasking)  होता है ।
  • उपयोगः घर, आफिस, व्यापार, शिक्षा, मनोरंजन, डेटा संग्रहण, प्रकाशन  आदि में ।

नोटबुक या लैपटॉप :

  •  नोटबुक के आकार का ऐसा कंप्यूटर है जिसे ब्रीफकेस में रखकर कहीं भी ले जाया जा सकता है ।
  •  इसका Use गोद (lap) पर रख कर किया जाता है, अतः इसे लैपटॉप  कंप्यूटर भी कहते हैं ।
  •  इसमें एलसीडी मॉनीटर, की-बोर्ड, टच पैड, हार्डडिस्क, फ्लॉपी डिस्क ड्राइव, सीडी/डीवीडी ड्राइव और अन्य पोर्ट रहते हैं ।
  •  वाई-फाई और ब्लूटूथ की सहायता से इसे इंटरनेट द्वारा भी जोड़ा जा  सकता है ।
  •  इसमें बैटरी का प्रयोग किया जाता है ।

वर्क स्टेशन कम्प्युटर :

  •  यह एक शक्तिशाली पीसी है जो अधिक प्रोसेसिंग क्षमता,
  • विशाल भंडारण और बेहतर डिस्प्ले को ध्यान में रखकर बनाया  जाता है ।
  •  एक बार में एक ही व्यक्ति कार्य कर सकता है ।
  •  उपयोगः वैज्ञानिक, इंजिनियरिंग, भवन निर्माण आदि क्षेत्रो में

पॉमटॉप कम्प्युटर :

  •  यह बहुत ही छोटे आकार का  कंप्यूटर है जिसे हाथ में रखकर भी कार्य किया जा सकता है।
  •  इसे मिनी लैपटॉप भी कहा जा सकता है।
  •  की-बोर्ड की जगह इसमें आवाज द्वारा इनपुट लिया जा सकता  है।
  • पीडीए (PDA—Personal Digital Assistant) भी एक छोटा कंप्यूटर है जिसे  नेटवर्क से जोड़कर अनेक कार्य किए जा सकते हैं तथाइसे फोन की तरह भी Use किया जा सकता है ।
Logic-Guru Quiz Completion में प्रतिभागी बने – निचे लिखे दोनों प्रश्नों के Comment Box में दे |
QUE1. PDA कौन सा कंप्यूटर है ?
QUE2. IC का विकास किसने और कब किया ?

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