History of Mahmud Ghaznavi in hindi | महमूद गजनी का इतिहास :
भारतीय इतिहास में जब भी विदेशी आक्रमणों की बात सामने आती है तो एक विदेशी आक्रमणकारी जिसका नाम महमूद गजनी था का नाम हमारे दिमाग में आता है उसके आतंक और विध्वंस की कहानी हमारे आँखों के सामने आ जाती है जिसने सोमनाथ के पवित्र मंदिर में शिवलिंग को तोडा और मन्दिर को ध्वस्त करने कि कोशिश की इसके अलावा उसने भारत में अनेक मन्दिरों को तोडा जिसके कारण लोग मुर्तिभन्जक कहने लग गये थे तो आइये जानते है इस दुर्दांत आक्रान्ता के (History of Mahmud Ghaznavi in hindi) बारे में …
- गजनी शासक सुबुक्तगीन के घर महमूद गजनवी का जन्म 971 में हुआ था|
- उसके पिता का नाम सुबुक्तगीन था जो कि गजनी के शासक थे|
- सुबुक्तगीन यमिनी वंश के तुर्क सरदार थे|
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वह 27 वर्ष की आयु में गजनी की राजगद्दी पर बैठा|
- अपने पिता सुबुक्तगीन के शासन काल में महमूद गजनवी खुरासन का शासक था|
- सिस्तान के शासक खलफ बिन अहमद को हराकर उसने सुल्तान कि उपाधि धारण की थी|
- वह तुर्क वंश का पहला शासक था जिसने सुल्तान की उपाधि धारण की थी|
- उसने बचपन से ही समृद्ध भारत और यहाँ की धन दौलत के बारे में सुन रखा था इसी को ध्यान में रखते हुए उसने भारत पर आक्रमण करने की सोची|
- भारत पर आक्रमण के दौरान उसने जिहाद का नारा दिया था|
- उसने भारत पर आक्रमण की शुरुआत 1001 ईस्वी से की थी|
- जब उसने पहली बार भारत पर आक्रमण किया तब उसका मुकाबला हिन्दूशाही शासक जयपाल से हुआ जिसमे महमूद गजनवी को जीत हासिल हुई|
- उसने भारत 1001 ईस्वी से 1027 ईस्वी के बीच 17 बार भारत पर आक्रमण किया था और हर बार उसने भारत के मन्दिरों को नुकसान पहुचाया और अकूत सम्पदा लुट कर अपने राज्य गजनी गया|
- महमूद गजनवी के साथ प्रसिद्ध लेखक अलबरूनी और इतिहासकार वैहाकी एवं उत्बी भारत आये थे|
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वर्ष 1026 में उसने सोमनाथ पर आक्रमण किया
उस समय कठियावाड का शासक चालुक्य वंश का भीम प्रथम था जो कि आक्रमण से पहले ही भाग खड़ा हुआ|
- आक्रमण के दौरान प्रसिद्ध सोमनाथ मन्दिर को तोड़ दिया और मन्दिर का सोने के साथ साथ भारी मात्रा में खजाना लुट कर ले गया|
- इस आक्रमण में उसने हजारो पुजारियों को मौत के घाट उतार दिया|
- उसने भारत पर अंतिम आक्रमण वर्ष 1027 में किया था जिसमे उसका मुकाबला पंजाब के जाटो से हुआ था जिसे जीतकर उसे अपने राज्य में मिला लिया था|
- जीत के बाद उसने लाहौर का नाम बदलकर महमूदपुर कर दिया था|
- महमूद गजनवी के एक के बाद आक्रमणों से भारतीय राजवंश आर्थिक और सैन्य दृष्टी से दुर्बल हो गये थे|
- महमूद गजनवी अपने अंत समय में कई मानसिक और शारीरिक कष्टों से ग्रसित रहा और अंत में वर्ष 1030 में उसकी मृत्यु हो गई थी|
- भारतीय इतिहास में महमूद गजनवी का नाम एक दुर्दांत आक्रमणकारी के रूप में लिया जाता है|
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