History of Prithviraj Chouhan in hindi | पृथ्वीराज चौहान का इतिहास :
भारतीय इतिहास के पन्नो को पलट कर देखे तो इसमें अनेक वीर योद्धाओ की कहानी पढने को मिलती है इन्ही वीर योद्धाओ में से एक महान राजपूत वीर योद्धा है पृथ्वीराज चौहान | जिनके पराक्रम की गाथाये इतिहास के बारे में कई जानकारियां हाथ लगेगी. तो आइये जानते है महान राजपूत योद्धा है (History of Prithviraj Chouhan in hindi) पृथ्वीराज चौहान के बारे में…
History of Prithviraj Chouhan in hindi:
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- पृथ्वीराज चौहान ने वर्ष 1178 से 1192 तक शासन किया|
- राजपूत सम्राट पृथ्वीराज चौहान का जन्म 1168 में हुआ था|
- इनके पिता अजमेर के राजा थे उनका नाम सोमेश्वर चौहान था|
- इनकी माता का नाम कारपुरी देवी था|
- उनका जन्म चौहान वंश में हुआ था।
- पिता के निधन के बाद मात्र 13 वर्ष की उम्र में अजमेर की राजगद्दी सम्भाली|
- पृथ्वीराज चौहान के दादा अंगम पूर्व में दिल्ली के शासक हुए|
- ऐसा कहा जाता है कि पृथ्वीराज चौहान बहुत बलवान थे जिसके कारण उन्होंने बगैर हथियार के शेर का शिकार कर दिया था|
- पृथ्वीराज चौहान ने राय पिथौरा किले को बनवाया| जिसके कारण उन्हें राय पिथोरा के नाम से भी जाना जाता है|
- उन्होंने मात्र 13 वर्ष की उम्र में गुजरात के शासक भीमदेव को शिकस्त दी|
- पृथ्वीराज चौहान संस्कृत, शौरसेनी, मगधी, प्राकृत, अपभ्रंश और पैशाची भाषा में निपूर्ण थे|
- उन्हें गणित, इतिहास, सैन्य विज्ञान, पुराण, मीमांसा, वेदान्त, चिकित्सा शास्त्र का भी विशेष ज्ञान था|
- पृथ्वीराज चौहान ने कन्नौज के राजा जयचंद की पुत्री संयोगिता के साथ गन्धर्व विवाह किया|
- पृथ्वीराज चौहान के बचपन के मित्र चन्द्रवरदाई थे|
- चन्द्रवरदाई बाद में कवि और लेखक हुए जिन्होंने पृथ्वीराज रासो जैसे महाकाव्य की रचना की|
पृथ्वीराज चौहान का इतिहास :
- मुस्लिम शासक सुल्तान मोहम्द गौरी ने जब भारत पर हमला किया तो पृथ्वीराज चौहान और मोहम्द गौरी के
बीच वर्ष 1191 में तराईन में युद्ध हुआ जिसे तराईन के पहले युद्ध के नाम से जाना जाता है| - मोहम्द गौरी को पृथ्वीराज चौहान ने 17 दफा युद्ध में पराजित किया|
- 18वीं बार मुहम्मद गौरी ने कन्नोज शासक जयचंद की सहायता से पृथ्वीराज चौहान को युद्ध परास्त किया और पृथ्वीराज चौहान और चन्द्रवरदाई को बंदी बना किया गया|
- राजपूत सम्राट पृथ्वीराज की सेना में तकरीबन तीन लाख घुड़सवार ,तीन हजार हाथी और पैदल सेना शामिल थे।
- मोहमद गौरी के द्वारा पृथ्वीराज चौहान की आखरी इच्छा पूछने पर शब्दभेदी बाण की कला का प्रदर्शन करने के लिए पूछा जिसे मोहमद गौरी ने स्वीकार कर लिया|
- पृथ्वीराज चौहान ने चन्द्रवरदाई के साथ मोहमद गौरी की हत्या का प्लान बनाया चन्द्रवरदाई के द्वारा काव्यात्मक रूप में एक पक्तिं कही जो कि इस प्रकार है…
“चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण, ता ऊपर सुल्तान है मत चूको चौहान !!” - जैसे ही उक्त पंक्ति पर मोहमद गौरी ने शाबास कहा पृथ्वीराज चौहान ने मोहमद गौरी की शब्दभेदी बाण से हत्या कर दी|
- इसके बाद पृथ्वीराज चौहान और चन्द्रवरदाई ने एक दुसरे के प्राण ले लिए|
- पृथ्वीराज चौहान की समाधि आज भी अफगानिस्तान के गजनी शहर के बाहरी क्षेत्र में बनी हुई है|
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