maharana pratap history in hindi | महाराणा प्रताप का इतिहास

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maharana pratap history in hindi
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महाराणा प्रताप का इतिहास (maharana pratap history in hindi):

राजपूतों का इतिहास गौरवपूर्ण रहा है। भारत में अनेक राजपूत योद्धा हुए जिन्होंने अपने स्वाभिमान से कभी समझौता नही किया और इसके लिए अपने प्राण त्याग दिए जिसका कारण इनका नाम भारतीय इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया है ऐसे ही एक वीर सम्राट रहे है मेवाड़ के प्रतापी राजा महाराणा प्रताप |
जिन्होंने अपने शौर्य और पराक्रम से दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिए और उनकी वीरता की मिसाल दुनिया में दी जाती हैं। उन्होंने देश, धर्म और स्वाधीनता के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया। वे एक ऐसे राजपूत सम्राट थे जिन्होंने मुगलों की दासता स्वीकार करने से अच्छा जंगलों में रहना पसंद किया। तो आइए जानते हैं मेवाड़ के महान हिंदू शासक महाराणा प्रताप (maharana pratap history in hindi) जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

महाराणा प्रताप का इतिहास:

    1. मेवाड़ के प्रतापी शासक महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई, 1540 ईस्वी को राजस्थान के कुंभलगढ़ दुर्ग में हुआ था।
    2. महाराणा प्रताप सिसोदिया राजवंश के वंशज थे।
    3. उनके पिता का नाम महाराजा उदयसिंह और माता का नाम महारानी जयवंता बाई था।
    4. महाराणा प्रताप राणा सांगा के पौत्र थे।
    5. बचपन में महाराणा प्रताप को ‘कीका’ नाम से पुकारा जाता था।
    6. महाराणा प्रताप के कुल देवता एकलिंग महादेव हैं।
    7. राजस्थान के उदयपुर में एकलिंग महादेव का मंदिर स्थित है।
    8. इस मंदिर का निर्माण मेवाड़ के संस्थापक बप्पा रावल ने 8वीं शताब्‍दी में करवाया|
    9. महाराणा प्रताप को मेवाड़ की गद्दी पर 1 मार्च 1576 को बैठाया गया था।
    10. उनका राज्याभिषेक गोगुंदा में हुआ था।
    11. राज्याभिषेक के कुछ समय बाद ही मुगल सम्राट अकबर और महाराणा प्रताप के बीच हल्दीघाटी का युद्ध हुआ|
    12. 18 जून, 1576 ई. को यह युद्ध लड़ा गया था यह युद्ध अत्यंत भयंकर हुआ था|
    13. हल्दीघाटी के इस युद्ध न ही अकबर जीता और न ही राणा प्रताप जीते |
    14. इस युद्ध में अकबर के पास 85000 से 100000 सैनिक थे वही महाराणा प्रताप के पास मात्र 20000 सैनिक थे लेकिन इसके बावजूद महाराणा प्रताप की सेना ने अंत तक स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया|
    15. युद्ध के दौरान अकबर ने महाराणा प्रताप को समझाने के लिए कई बार शान्ति दूतों को भेजा लेकिन महाराणा प्रताप ने अकबर के प्रस्ताव को ठुकरा दिया|
    16. हकीम खां सूरी एक मात्र मुस्लिम सरदार थे जिन्होंने हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप का साथ दिया था|
    17. महाराणा प्रताप ने 1568 से 1597 ईस्वी तक शासन किया।
    18. उनके भाले का वजन 81 किलो तथा छाती के कवच वजन 72 किलो था|

    19. इस प्रकार उनके भाला, कवच, ढाल और दो तलवारों का कुल वजन 208 किलो था|
    20. अपने जीवन में महाराणा प्रताप ने कुल 11 शादियां की थीं जिसके राजनैतिक कारण ज्यादा थे|
    21. महाराणा प्रताप के सबसे प्रिय घोडे का नाम चेतक था| चेतक की बहादुरी के कई किस्से काफी मशहूर है|
    22. बताया कहा जाता है कि जब युद्ध में मुगल सेना महाराणा प्रताप के पीछे पड़ी थी तो चेतक महाराणा प्रताप को अपनी पीठ पर बैठाकर कई फीट लंबे नाले को कूद गया था|
    23. इस दौरान चेतक घायल हो गया लेकिन उसने अपने स्वामी की जान बचा ली|
    24. चेतक की समाधि आज भी चित्तौड़ की हल्दी घाटी में बनी हुई है|
    25. चावंड में धनुष की डोर आंत में लगने के बाद इलाज के दौरान 57 वर्ष की उम्र में 29 जनवरी, 1597 को मृत्यु ही गई थी।
    26. महाराणा प्रताप एक ऐसे शासक थे जिन्होंने अपनी आन बान शान और स्वाभिमान से कभी समझौता नही किया |

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