तलाक ए बिद्द्त :
triple talaq : मोदी सरकार मुस्लिम समाज में एक बार में तीन तलाक यानी कि तलाक-ए-बिद्दत की प्रथा पर रोक लगाने के मकसद से जुड़ा नया विधेयक सरकार शुक्रवार को लोकसभा में पेश करने जा रही है . लोकसभा से जुड़ी कार्यवाही सूची के मुताबिक ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2019′ लोकसभा में पेश किया जाएगा. पिछले महीने पुरानी लोकसभा का कार्यकाल पूरा होने के बाद पिछला विधेयक निष्प्रभावी हो गया था क्योंकि यह बिल राज्यसभा में पहले से लंबित था. इस कारण से सरकार के नई लोकसभा में दोबारा से इस बिल को पेश किया जा रहा है मोदी सरकार का यह कानून शुरुआत से ही विवादो में रहा है इस कानून के पक्ष और विपक्ष में कई पार्टियाँ है इसके साथ ही इस बिल पर मुस्लिम समाज भी बटा हुआ नज़र आ रहा है | तो आइये जानते है कि आखिर क्या है तलाक ए बिद्द्त यानि तीन तलाक-
तलाक ए बिद्द्त क्या है? / what is triple talaq
तलाक पर मुस्लिम समाज का पुराना इतिहास :
इस्लाम धर्म के आने से पहले अरब देशो में औरतों की दशा बहुत खराब थी। उन्हें गुलामों की तरह खरीदा और बेचा जाता था । उस समय तलाक भी कई तरह के हुआ करते थे, जिसमें महिलाओं के अधिकार न के बराबर थे। इस दयनीय स्थिति में सुधार करने के लिए पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब तलाक-ए-अहसन लाए।
उस वक्त तक तलाक-ए-अहसन को तलाक का सबसे अच्छा तरीका माना गया है। यह तलाक तीन महीने के अंतराल में दिया जाता है। इसमें तलाक तलाक तलाक तीन बार बोलना जरूरी नहीं होता है। एक बार तलाक कह देने के बाद तीन महीने का इंतज़ार करना पड़ता है। अगर तीन महीने के अंदर मियां बीवी एक साथ नहीं आते हैं तो तलाक हो जाता है ।
तलाक ए बिद्द्त पर अन्य मुस्लिम देशो की स्थिति:
- भारत एक मात्र ऐसा देश है जहां शौहर अपनी बीवी को एक साथ तीन तलाक बोलकर अपना रिश्ता खत्म कर सकता है
- लेकिन अन्य मुस्लिम देशों में ऐसी कोई प्रथा नहीं है।
- भारत के अलावा दुनिया के ऐसे 22 देश हैं, जहां तीन तलाक पूरी तरह से बैन है।
- सबसे पहले मिस्त्र में तीन तलाक को बैन किया गया था।
- हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी तीन तलाक 1956 से ही बैन है।
- इसी फेहरिस्त में सूडान, साइप्रस, जार्डन, अल्जीरिया, ईरान, ब्रुनेई, मोरक्को, कतर और यूएई में भी तीन तलाक बैन है।
तलाक ए बिद्द्त पर सर्वोच्च न्यायालय नजरिया:
- देश की सर्वोच्च अदालत ने 1400 साल पुरानी प्रथा-तलाक ए-बिद्दत को शून्य, असंवैधानिक और गैरकानूनी करार दिया था।
- इसके बाद शीर्ष अदालत ने सरकार से छह महीने में तीन तलाक प्रथा के खिलाफ कानून बनाने को कहा था।
- सर्वोच्च अदालत के इस आदेश के बाद सरकार द्वारा तीन तलाक पर क़ानूनी बिल को अमलीजामा पहनाया गया है
- इस बिल पिछली लोकसभा में पेश किया गया था
- लेकिन राज्यसभा में पूर्ण बहुमत न होने की स्थिति में सरकार इस बिल को कानून की शक्ल न दे सकी इसके बाद सरकार द्वारा इस बिल कई बार अध्यादेश लाया जा चूका है |