कब मनाया जाता है योग दिवस?
international yoga day : योग दिवस मनाने का विचार सर्वप्रथम भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सितंबर 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने एक भाषण के दौरान प्रस्तावित किया था। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस दुनिया भर के देशों में 21 जून को मनाया जाता है।
narendra modi |
21 जून को ही क्यों मनाया जाता है योग दिवस?
कब योग दिवस मनाने का प्रस्ताव को स्वीकार किया गया ?
कितने देशो में प्रस्ताव को स्वीकार किया ?
कौन संचालन करता है योग दिवस का ?
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का मुख्य उद्देश्य-
- योग से होने वाले अद्भुत और प्राकृतिक फायदों के बारे में लोगों को बताना।
- योग अभ्यास के माध्यम से लोगों को प्रकृति से जोड़ना।
- इसके द्वारा ध्यान की आदत को लोगों में बनाना।
- योग से होने वाले फायदों से विश्व समुदाय का ध्यान अपनी और खींचना।
- विश्व भर में उपस्तिथ स्वास्थ्य से सम्बन्धित चुनौतीपूर्ण बीमारियों की दर को घटाना।
- आज की व्यस्त दिनचर्या से स्वास्थ्य के प्रति लोगो को जागरूक करना ।
- योग के माध्यम से वृद्धि, विकास और शांति को पूरे विश्वभर में फैलाना।
- इसके माध्यम से तनाव से राहत दिलाने के द्वारा खुद से उनकी बुरी परिस्थिति में लोगों की मदद करना।
- योग के माध्यम से लोगों के बीच वैश्विक समन्वय को मजबूत करना।
- लोगों को शारीरिक और मानसिक बीमारियों के प्रति जागरुक बनाना और योग के माध्यम से इसका समाधन उपलब्ध कराना।
- लोगों को उनके अच्छे स्वास्थ्य और स्वस्थ्य जीवन-शैली के अधिकार के बारे में बताना।
- स्वास्थ्य की सुरक्षा और दीर्घकालिक स्वास्थ्य विकास के बीच संबंध जोड़ना।
- नियमित योग अभ्यास के द्वारा सभी स्वास्थ्य चुनौतीयों से पार पाना।
- योग अभ्यास के द्वारा लोगों के बेहतर मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रचारित करना।
योग का प्राचीन इतिहास
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इसके बाद ऋषि-मुनियों से योग को लोकप्रिय बनाया और योग ने दुनिया भर में ख्याति अर्जित की। और वर्तमान में योग को आम लोगो में लोकप्रिय बनाने ने बाबा रामदेव का भी महत्वपूर्ण योगदान है आज सूर्य नमस्कार (sun salutation), अनुलोम-विलोम सहित कई योगासन एवं ध्यान का अभ्यास तन को स्वस्थ रखने एवं मस्तिष्क को शांत रखने के लिए किया जाता है।
योग करते हुए पित्रों के साथ सिंधु – सरस्वती घाटी सभ्यता के अनेक जीवाश्म अवशेष एवं मुहरें भारत में योग की मौजूदगी का एहसास दिलाती हैं।प्राचीन लोक परंपराओं, सिंधु घाटी सभ्यता, वैदिक एवं उपनिषद की विरासत, बौद्ध एवं जैन परंपराओं, दर्शनों, महाभारत एवं रामायण नामक महाकाव्यों, शैवों, वैष्णवों की आस्तिक परंपराओं एवं तांत्रिक परंपराओं में भी योग की मौजूदगी दर्ज की गई है। पूर्व वैदिक काल (2700 ईसा पूर्व) में एवं इसके बाद पतंजलि काल तक योग की मौजूदगी के ऐतिहासिक साक्ष्य पाये गए।