आदिवासी – उत्पत्ति :
Vishwa Adivasi Diwas : जनजातीय (आदिवासी) समाज अपनी उपेक्षा, गरीबी, अशिक्षा, स्वास्थ्य सुविधा का अभाव, बेरोजगारी एवं बंधुआ मजदूर जैसे समस्याओं से ग्रसित थे। जनजातीय समाज के उक्त समस्याओं के निराकरण हेतु विश्व के ध्यानाकर्षण के लिए वर्ष 1994 में संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा द्वारा प्रतिवर्ष 9 अगस्त को “INTERNATIONAL DAY OF THE WORLD’S INDIGENOUS PEOPLE” विश्व आदिवासी दिवस (Vishwa Adivasi Diwas) मनाने का फैसला लिया गया था।
आदिवासी – परीचय :
- आदिवासी शब्द दो शब्दों आदि और वासी से मिल कर बना है और इसका अर्थ मूल-निवासी है। भारत की जनसंख्या का 8.6% (10 करोड़) जितना एक बड़ा हिस्सा आदिवासियों का ही है।
- भारत के प्रमुख आदिवासी समुदायों में संथाल, गरासिया, मीणाए गोंड, मुंडा, खड़िया, हो, बोडो, भील, खासी, सहरिया, उरांव, बिरहोर आदि हैं।
- महात्मा गांधी ने आदिवासियों को गिरिजन (पहाड़ पर रहने वाले लोग) कह कर पुकारा है।
आदिवासी – योगदान :
आदिवासी – राज्य मान्यता :
आदिवासी – भाषाएं :
- भारत में सभी आदिवासी समुदायों की अपनी विशिष्ट भाषा है।
- सभी आदिवासी भाषाओं को मुख्यतः तीन भाषा परिवारों में रखा है- द्रविड़, आस्ट्रिक और चीनी-तिब्बती।
- आदिवासी भाषाओं में ‘भीली’ बोलने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है जबकि दूसरे नंबर पर ‘गोंडी’ भाषा और तीसरे नंबर पर ‘संताली’ भाषा है।
- भारत की 114 मुख्य भाषाओं में से 22 को ही संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है। इनमें से संताली और बोड़ो ही मात्र आदिवासी भाषाएं हैं।
- भारतीय राज्यों में एकमात्र झारखण्ड में ही 5 आदिवासी भाषाओं – संताली, मुण्डारी, हो, कुड़ुख और खड़िया – को 2011 में द्वितीय राज्यभाषा का दर्जा प्रदान किया आदिवासी भाषाएं संपादित करें ।
भारत की प्रमुख जनजातियाँ :
- चंदा समिति ने सन् 1960 में अनुसूचति जातियों के अंर्तगत किसी भी जाति को शामिल करने के लिये 5 मानक निर्धारित किया।
- भौगोलिक एकाकीपन
- विशिष्ट संस्कृति
- पिछड़ापन
- संकुचित स्वभाव
- आदिम जाति के लक्षण
आदिवासी – क्षेत्र :
- उत्तरी क्षेत्र:- भूटिया, थारू, बुक्सा।
- पूर्वोत्तर क्षेत्रः-लेपचा, मिसमी, डफला, लुसाई ।
- पूर्वी क्षेत्रः- जुआंग, खोड़, मुंडाउंराव, खोड़, भूमिज, खरिया।
- मध्य क्षेत्रः- गौड, बैगा, मारिया, अबूझ मारिया।
- पश्चिमी क्षेत्रः- भील, मीणा, गरासिया, डामोर, सहरिया, कंजर, सांसी, कोरकू ।
- दक्षिण क्षेत्रः- टोडा, चेट्टी ।
- द्विपीय क्षेत्रः- यह जातियां नीग्रिये प्रजाति से संबधित हैं। ये लुप्त होने के कगार पर हैं।
प्रतियोगिता प्रश्न :
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