Directory Sub directory file Structure in Computer

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परिचय :

file Structure : Computer मे दो प्रकार की memory का उपयोग data को store करने के लिये किया जाता है। user अपने data को sequencial files के रूप मे store कर सकता है। जब data इस रूप मे store होता है, तब data को search करना अत्यधिक कठिन होता है। Multi user o.s.में एक से अधिक user का data store किया जाता है, इसलिए memory में program या data को store करने के लिए directory structure का use किया जाता है। जहा information को व्यवस्थित रूप से store किया जा सकता है। एक directory files तथा sub directory का collection होती है। directory का प्रयोग files को separately store करने के लिए किया जाता है। directory को memory में storage location के अनुसार निम्न level में विभाजित किया जा सकता र्है।

file Structure Directory Structure Sub directory Structure in Computer :

Root Directory –

  • Computer में user के data को अधिक समय तक सुरक्षित store रखने के लिए secondary device  का उपयोग किया जाता है।
  • जैसे कि floppy disk , Hard disk , CD आदि इन सभी device में store किये गये data को o.s. के माध्यम से ही उपयोग मे लाया जाता है।
  • DOS एवं window जैसे o.s.के द्वारा इनमें से किसी भी device को उपयोग मे लाने के लिये उस device के लिये एक directory point निर्धारित किया जाता है
  • जिसे Root Directory कहते है।
  • Root Directory मे ही उस device से store सभी data को प्रदर्षित किया जाता है।
  • Root directory किसी भी memory के लिये वह प्रांरभिक location होती है,
  • जहा से उस device में store होने वाले data को address प्रदान किया जाता है।
  • किसी भी memory की सभी files एवं directories को Root directory के अंतगर्त ही बनाया जा सकता है।

main Directory –

  • जब किसी memory device में data store किया जाता है
  • तब सबसे पहले root directory के अंतगर्त एक Directory बनाई जाती है,
  • जिसे main directory कहा जाता है। user अपनी आवष्यकता के अनुसार कितनी भी संख्या में Directory बना सकता है।
  • वह सभी Directory जो Root directory के अंतगर्त बनाई जाती है main directory कहलाती है।

sub directory :

  • user की आवष्यकता के अनुसार यदि data को अधिक सुरक्षित व व्यवस्थित रखना हो तब main directory के अंदर भी directory बनाई जा सकता है,
  • जिसे उस directory के लिए sub directory कहा जाएगा।
  • किसी भी main directory में एक नाम एक ही sub directory बनाई जा सकती है।

File Structure :

  • user के data को o.s. के माध्यम से store करने वाली memory कि सबसे छोटी इकाई file कहलाती है।
  • file एक memory का block होती है
  • जिसमें data को एक निर्धारित sequence में store किया जा सकता है।
  • file को user के द्वारा एक नाम दिया जाता है।
  • जिसकी सहायता से ये file उपयोग मे लाई जा सकती हे।
  • file मुख्य रूप से किसी ऐसे data को store करके रखती है
  • जो user या system दोनो के लिए आवष्यक हो सकता है।

file को नाम प्रदान करने के लिए निम्नलिखित नियमों को उपयोग मे लाना होता है।

  1. किसी भी file को name 8 character से अधिक नही हो सकता है तथा Extension 3 character से अधिक नही हो सकता है।
  2. किसी भी file name में alphabet (A-Z)  तथा Numeric  digit(  0to 9 )  तथा कुछ symbols जैसे ‘-,~,#,^’ आदि का प्रयोग किया जा सकता है तथा कुछ symbols जैसे ‘*,?,+{,},”,.,+,?,<,>’ आदि का प्रयोग file name मे नही किया जा सकता है।
  3. file  nameमें कुछ device   name जैसे COM1,AUX,LPT1,PRN,NUL,ETC.का प्रयोग नही किया जा सकता है।
  4. एक हि directory में उपस्थित एक से अधिक sub directory या files के name एक दुसरे के समान नही हो सकते है।

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