परिचय :
madhya pradesh pashudhan : मध्यप्रदेश में पशुधन की के बारे में जानने के लिए निचे लिखी पोस्ट को जरुरु पढ़े और दोस्तों के साथ शेयर भी करे |
मध्यप्रदेश में पशुधन / madhya pradesh pashudhan
- वर्ष 2012 की पशु संगणना के अनुसार प्रदेश में 3.63 करोड़ पशुधन तथा 119.055 लाख कुक्कुट (मुर्गी) एवं बतख पक्षी है |
- वर्ष 2012 की पशु संगणना के अनुसार प्रदेश में गौ एवं भैस वंशीय प्रजनन योग्य पशुओं (मादाओं) की संख्या 109.90 लाख है |
- प्रदेश में वर्ष 2012 की पशु संगणना के अनुसार 3.09 लाख भेड़े एवं 80.14 लाख बकरें / बकरियाँ है |
- म.प्र. की अर्थ व्यवस्था का एक सहायक घटक पशुधन और पशुपालन है |
- प्रदेश में पशुधन का उपयोग कृषि कार्य के अतिरिक्त दुग्ध, माँस तथा अन्य उत्पादों के लिए किया जाता है |
- राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम की स्थापना वर्ष 1998 में
- प्रदेश में पशुधन में सर्वाधिक संख्या बकरियों की है |
- पशुधन शिक्षा के लिए जबलपुर तथा महू में महाविद्यालयों की स्थापना की गई |
- पशुधानों में सबसे महत्वपूर्ण पशु गाय है |
- प्रदेश में निमाड़ी गाय की अधिक माँग रहती है |
- प्रदेश में गौवंश के संरक्षण के लिए “गौवंश आयोग” बनाया गया है |
- स्थानीय नस्ल की भेड़ो के सुधार के लिए भेड़ एवं ऊन विस्तार केंद्र की स्थापना की गई है |
- गौ – सेवक योजना का क्रियान्वयन पशुधन के विकास के लिए किया जा रह अहै |
- गौ वंश में सांड, बैल, व बछड़ा आदि शामिल है |
- 2007 की पशु गणना के अनुसार प्रदेश में 4.07 करोड़ पशुधन है
- गणना के अनुसार प्रदेश में 73.84 लाख कुक्कुट तथा बतख है |
- 2007 की पशु गणना के अनुसार प्रदेश में गौ एवं भैस वंशीय प्रजनन योग्य मादाओ की संख्या 121.05 लाख है |
मध्यप्रदेश में पशुधन / madhya pradesh pashudhan
- पशु गणना के अनुसार प्रदेश में 3.90 लाख भेड़े है |
- 2007 की पशु गणना के अनुसार प्रदेश में 90.14 लाख बकरे – बकरिया है |
- प्रदेश में 7 बकरी प्रजनन इकाईया एवं 01 बकरी प्रजनन क्षेत्र है |
- पशु घनत्व – रीवा व टीकमगढ़ (प्रथम स्थान), सतना व राजगढ़ (द्वितीय)
- राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम की स्थापना -19 नवम्बर 1982
- मध्यप्रदेश पशुचीकित्सा विज्ञान और पशुपालन कॉलेज की स्थापना 8 जुलाई 1948 कृषि विद्यालय जबलपुर के अंतर्गत की गई |
- इस कॉलेज को पशुचीकित्सा विज्ञान नानाजी देखमुख विश्वविद्यालय अधिनियम 2009 के द्वारा 3 नवम्बर 2009 को प्रथक विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित किया गया जो की वर्तमान में जबलपुर में है |
- एकीकृत डेयरी विकास परियोजना वर्ष 1997 में विश्व बैंक के सहयोग से दुग्ध उत्पादन को प्रोत्साहन देने हेतु शुरू की गई |
- प्रदेश में अमूल पद्यति पर डेयरी विकास के लिए वर्तमान में ऑपरेशन फ्लड 3 परियोजना क्रियान्वित है |
- मध्यप्रदेश में शहडोल, सीधी, मंडला, बालाघाट, एवं छिंदवाड़ा जिलो में एकीकृत आदिवासी डेयरी विकास परियोजना संचालित की जा रही है |
- ग्राम पंचायतो को उन्नत नश्ल के गौवंशीय सांड प्रदाय कर नश्ल सुधार के लिए प्रदेश में 26 अक्टोबर 2005 से नंदीशाला योजना प्रारंभ की गई |