परिचय :
madhya pradesh ke pramukh mandir : मध्यप्रदेश को धर्मो की नगरी कहा जाता है और यहाँ कई मंदिर है जहाँ प्रत्येक दिवस अनेक श्रद्धालु का आना जाना होता है इन मंदिरों की सूचि इस प्रकार है |
मध्यप्रदेश के प्रमुख मंदिर एवं मूर्तियाँ / madhya pradesh ke pramukh mandir :
महाकालेश्वर मंदिर :
- महाकालेश्वर मंदिर भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है ।
- यह मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन नगर में स्थित, महाकालेश्वर भगवान का प्रमुख मंदिर है|
- दक्षिणमुखी होने के कारण महाकालेश्वर महादेव की अत्यन्त पुण्यदायी महत्ता है।
उदयेश्वर मंदिर :
- यह स्थान बीना और विदिशा के बीच, विदिशा से लगभग २० कोस की दूरी पर स्थित है।
- धार राज्य के परमारवंशीय राजा उदयादित्य के समय में इसका काफी विकास हुआ। .
ओंकारेश्वर मन्दिर :
- यह मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है। यह नर्मदा नदी के बीच मन्धाता या शिवपुरी नामक द्वीप पर स्थित है।
- यह भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगओं में से एक है |
- यही कावेरी ओमकार पर्वत का चक्कर लगते हुए संगम पर वापस नर्मदाजी से मिलती हैं, इसे ही नर्मदा कावेरी का संगम कहते है |
ककरहानाथ मंदिर :
- ककरहानाथ मंदिर मध्य प्रदेश के रीवा जिले के सिरमौर तहसील के अन्तर्गत मऊ गांव में हनुमान जी को समर्पित प्रसिद्ध एक मंदिर है।
- यह मंदिर लगभग १५० वर्ष पुराना है ।
काल भैरव मंदिर :
- काल भैरव मंदिर, उज्जैन स्थित एक हिन्दू मंदिर है जो हिन्दू देवता भैरव को समर्पित है।
- यह महाकाल मंदिर से लगभग पाँच किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
कालियादेह महल :
- कालियादेह भवन उज्जैन से उत्तर की ओर ६ मील की दूरी पर क्षिप्रा नदी में एक द्वीप के रूप में स्थित है |
- यह महल अब खंडहरों में बदल गया है, और यह नदी में जो कुंड बने हुए हैं उन्हें आज 52 कुंड के नाम से जाना जाता है।
- यहा पर सूर्य मंदिर और नव ग्रह मंदिर भी है।|
खजराना मंदिर :
- खजराना मंदिर इन्दौर का प्रसिद्ध गणेश मंदिर है। यह मंदिर विजय नगर से कुछ दूरी पर खजराना चौक के पास में स्थित है।
- इस मंदिर का निर्माण अहिल्या बाई होल्कर द्वारा किया गया था।
गढ़कालिका मंदिर, उज्जैन :
- गढ़कालिका मंदिर, मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में स्थित है।
- कालजयी कवि कालिदास गढ़ कालिका देवी के उपासक थे।
- यहाँ प्रत्येक वर्ष कालिदास समारोह के आयोजन के पूर्व माँ कालिका की आराधना की जाती है।
गोपाल मंदिर झाबुआ :
- गोपाल मंदिर झाबुआ सबसे प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों में से एक है।
- यह मंदिर गुरु भक्तो के अनंत अविभूषित पूज्य रामशंकर जी जानी ( बड़े बापजी ), पूज्य घनश्याम प्रभु जी जानी (छोटे बापजी ) और माँ रविकांता बेन (गोपाल प्रभु ) को समर्पित है|
ग्यारसपुर :
- ग्यारसपुर, विदिशा से पूर्वोत्तर दिशा में २३ मील की दूरी पर एक पहाड़ी की उपत्यका में बसा हुआ है।
- यहाँ बौद्ध, जैन तथा ब्राह्मण तीनों संप्रदायों का प्रभाव रहा है।
बाजरा मठ (बज्र मठ) :
- यह एक विरल मंदिर है, जिसमें एक ही पंक्ति की तीन मूर्तियाँ स्थापित की गई है।
- यह वास्तव में ब्राह्मण धर्म से संबद्ध था, जिसमें हिंदूओं के तीनों मुख्य आराध्य त्रिदेव के रूप में रखे गये थे।
मालवदेव का मंदिर :
- ग्यासपुर में स्थित स्मारकों में यह सबसे बड़ा है। इसे स्थानीय लोग मालादेई का मंदिर के नाम से जानते हैं।
- राजा भोज के वंशज तथा उदयादित्य के पौत्र मालवदेव ne एक पहाड़ी की इस रमणीय स्थान पर इस मंदिर का निर्माण करवाया।
बौद्ध स्तूप :
- ग्यारसपुर के उत्तर की ओर पहाड़ी पर अनगढ़े पत्थरों के कुछ ध्वस्त हो रहे चबुतरे दिखते हैं, जो स्तूप के साक्ष्य माने जाते हैं।
- यहाँ बुद्ध की बैठी हुई अवस्था में एक प्रतिमा मिली है।
मानसरोवर ताल :
- बौद्ध स्तूपों से २०० गज की दूरी पर पूर्वी ढलान पर, मानसरोवर नामक एक छोटा-सा ताल अवस्थित है|
- इस मंदिर का निर्माण अहिल्या बाई होल्कर द्वारा किया गया था।
- एक मंदिर के गरुड़ की उत्कीर्ण प्रतिमा के आधार पर वैष्णव मंदिर बताया जाता है।
हिंडोला तोरण :
- यह विष्णु या त्रिमूर्ति को समर्पित एक विशाल मंदिर का अलंकृत मेहराबनुमा तोरण है।
- दो उदग्र स्तंभों से निर्मित यह रचना देखने में पारंपरिक हिंडोले के समान ही लगता है।
- स्तंभ के चारों तरफ विष्णु के सभी दस अवतारों का चित्रण है।
चतुर्भुज मंदिर (खजुराहो) :
- यह मंदिर जटकारा ग्राम से लगभग आधा किलोमीटर दक्षिण में स्थित है।
- इस मंदिर का निर्माणकाल जवारी तथा दुलादेव मंदिर के निर्माणकाल के मध्य माना जाता है।
चित्रगुप्त मन्दिर,खजुराहो :
- निरंधार प्रासाद श्रेणी का यह मंदिर, प्रमुखतया चित्रगुप्त मंदिर है।
- इसके गर्भगृह में ४’१० ऊँची चित्रगुप्त भगवान की प्रतिमा विराजमान है।
- इस मंदिर का निर्माण ९७५ ईसवी सन् में हुआ था।
चौंसठ योगिनी मंदिर, खजुराहो :
- चौसठ योगिनी मंदिर, मध्य प्रदेश के खजुराहो में स्थित देवी का एक ध्वस्त मंदिर है।
- यह खजुराहो का सबसे प्राचीन मंदिर है जो अब भी विद्यमान है।
- शिवसागर झील के दक्षिण-पश्चिम में स्थित चौसठयोगिनी मंदिर चंदेल कला की प्रथम कृति है।
- अन्य स्थानों पर भी चौसठ योगिनी मंदिर हैं, किन्तु यह अकेला ऐसा मन्दिर है जिसका प्लान, आयताकार है।
चौसठ योगिनी मंदिर, जबलपुर :
- चौसठ योगिनी मंदिर मध्य प्रदेश के जबलपुर में स्थित देवी का एक मंदिर है।
- इस मंदिर को त्रिपुरी राज घराने के महाराज कर्णदेव की महारानी अरुणा देवी ने बनबाया था।
चौसठ योगिनी मंदिर, मुरैना :
- मुरैना का चौसठ योगिनी मंदिर मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में स्थित एक प्राचीन मंदिर है।
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इस मंदिर को प्राचीन ऐतिहसिक स्मारक घोषित किया है।
- ऐसा माना जाता है कि भारत का संसद भवन (जो १९२० में बना), इसी शैली पर निर्मित है।
जावरी मंदिर :
- कंदरिया महादेव मंदिर के बाद बनने वाले जवारी मंदिर में शिल्प की उत्कृष्टता है।
- इस मंदिर का निर्माणकाल आदिनाथ तथा चतुर्भुज मंदिरों के मध्य (९५०- ९७५ ई.) निर्धारित किया जा सकता है।
दुलादेव मन्दिर :
- दुलादेव मन्दिर (या दुल्हादेव मन्दिर) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के खजुराहो स्थान में बना एक हिन्दू मन्दिर है।
- यह मूलतः शिव मंदिर है। इसको कुछ इतिहासकार कुंवरनाथ मंदिर भी कहते हैं।
पार्श्वनाथ मन्दिर, खजुराहो :
- पूर्वी समूह के अंतर्गत पार्श्वनाथ मंदिर, खजुराहो के सुंदरतम मंदिरों में से एक है|
- मूलतः इस मंदिर में आदिनाथ की प्रतिमा थी। वर्तमान में स्थित पार्श्वनाथ प्रतिमा उन्नीसवीं शताब्दी के छटे दशक की है।
- इस मंदिर का निर्माण ९५० ई. से ९७० ई. सन् के बीच यशोवर्मन के पुत्र और उत्तराधिकारी धंग के शासनकाल में हुआ।
बडे गणेशजी का मंदिर :
- विश्व की सबसे ऊँची और विशाल गणेश प्रतिमा के बतौर बड़े गणपति की ख्याति है। शहर के पश्चिम क्षेत्र में मल्हारगंज के आखिरी छोर पर ये गणेश विराजमान हैं।
- इन्हें उज्जैन के चिंतामण गणेश की प्रेरणा से नारायण दाधीच ने 120 वर्ष पूर्व बनवाया था।
सिरोंज :
- यह स्थान विदिशा से ५० मील की दूरी पर एक तहसील है।
- सिरोंज के दक्षिण में स्थित पहाड़ी पर एक प्राचीन मंदिर है।
- इसे उषा का मंदिर कहा जाता है।
सलकनपुर सीहोर :
- सलकनपूर माता बीजासन का एक सुप्रसिद मदिर है।
शमसाबाद, विदिशा :
- यह गाँव लेटीरी से ६- ७ कोस दक्षिण की तरफ ऊँचाई पर बसा है। यह एक पहाड़ी नदी सांपन के किनारे बसा है।
- इस स्थान को मध्य भारत एवं गुजरात की सीमा पर बसे गिरासियों ने बसाया था।
- १८ वीं सदी में “शम्सगढ़’ नामक एक किला बनाया|
शनि मंदिर, इंदौर :
- अहिल्या नगरी इंदौर में शनिदेव का प्राचीन व चमत्कारिक मंदिर जूनी इंदौर में स्थित है।
वेधशाला, उज्जैन :
- उज्जैन शहर में दक्षिण की ओर क्षिप्रा के दाहिनी तरफ जयसिंहपुर नामक स्थान में बना यह प्रेक्षा गृह “जंतर महल’ के नाम से जाना जाता है।
- इसे जयपुर के महाराजा जयसिंह ने सन् १७३३ ई. में बनवाया
- जैसा कि भारत के खगोलशास्री तथा भूगोलवेत्ता यह मानते आये हैं कि देशांतर रेखा उज्जैन से होकर गुजरती है।
- यहाँ चार यत्र लगाये गये हैं — समरात यंत्र, नाद वलम यंत्र, दिगांरा यंत्र तथा मिट्टी यंत्र। इन यंत्रों का सन् १९२५ में महाराजा माधवराव सिंधिया ने मरम्मत करवाया था।