History of Satavahan Vansh | सातवाहन वंश का इतिहास:
सातवाहन वंश भारतीय इतिहास का महत्वपूर्ण वंश है दक्षिण भारत की परिकल्पना जिसके बिना नही की जा सकती है इसका प्रभुत्व दक्षिण भारत में अधिक रहा है विशेषकर आंध्रप्रदेश व उसके आसपास के क्षेत्रो में | इस वंश की स्थापना शिमुक ने की थी उसके अलावा भी अनेक राजा महाराजा हुए जिन्होंने सातवाहन वंश को आगे बढ़ाया तो आइये जानते है सातवाहन वंश के इतिहास के बारे(History of Satavahan Vansh) में…
- 60 ईसा पूर्व में शिमुक ने कण्व वंश के अंतिम शासक सुशर्मा की हत्या कर सातवाहन वंश की स्थापना की।
- सातवाहन वंश के शासकों ने प्रतिष्ठान को अपनी राजधानी बनाया। जो कि वर्तमान में आंध्र प्रदेश के औरंगाबाद जिले में स्थित हैं।
- शिमुक, शातकर्णी, गौतमीपुत्र शातकर्णी, वशिष्ठीपुत्र, पुलुमावी तथा यज्ञश्री शातकर्णी आदि सातवाहन वंश के प्रमुख शासक हुए।
- सातवाहन वंश के शासक शातकर्णी ने एक राजसूय तथा दो अश्वमेध यज्ञ करवाए|
- अपने समय के प्रसिद्ध साहित्यकार हाल एवं गुणाढ्य सातवाहन शासकों के शासनकाल में हुए।
- प्रसिद्ध साहित्यकार हाल ने गाथा सप्तशतक नामक पुस्तक की रचना की |
- अन्य प्रसिद्ध साहित्यकार नें गुणाढ्य ने बृहत्कथा नामक पुस्तकों की रचना की।
- चाँदी, ताँबे, सीसा, पोटीन और काँसे की मुद्राओं का चलन सातवाहन राजाओ के शासन काल किया जाता था।
- सातवाहन राजाओ के द्वारा ही सर्वप्रथम ब्राह्मणों को भूमि-अनुदान करने की प्रथा शुरू की गई थी|
- प्राकृत एवं ब्राह्मी लिपि का उपयोग सातवाहनों शासको के द्वारा मूल रूप से किया जाता था।
- सातवाहनो के शासनकाल में सत्ता मातृसत्तात्मक थी।
- सातवाहनो के शासनकाल में स्थापत्य कला का काफी विकास हुआ इनमे कार्ले का चैत्य, अंजता एवं एलोरा की गुफाओं का निर्माण एवं अमरावती कला का विकास मुख्य रूप से है|
- शातकर्णी एवं अन्य सभी सातवाहन शासक दक्षिणापथ के स्वामी कहे जाते थे।
- उत्तर भारत और दक्षिण भारत के बीच सेतु का काम सातवाहन वंश ने किया।
- यज्ञश्री शातकर्णी (Yagyashree Shatkarni)सातवाहन वंश का अंतिम शासक था।
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