जानिए मिशन चंद्रयान 2 के बारे में | chandrayaan 2 details

0
mission-chandrayaan-2-details
mission-chandrayaan-2-details

मिशन चंद्रयान 2 :

chandrayaan 2 : वर्ष 2008 में भारत ने पहले चंद्रयान को चंद्रमा की कक्षा में भेजने में सफलता हासिल करने के बाद से ही विश्व भर की निगाहे भारत के मिशन चन्द्रयान -2 टिकी हुई है भारत 10 वर्षो के अन्तराल में ही दूसरी बार चांद पर जाने वाला अपना मिशन पूरा करने जा रहा है. और इस मिशन को लेकर भारत के साथ ही विश्व भर में काफ़ी उत्साह है | तो आइये जानते है मिशन चन्द्रयान -2 के बारे में –

chandrayaan 2 details :

  1. चंद्रयान-2 को स्वदेशी जीएसएलवी मार्क III रॉकेट से अंतरिक्ष में लेकर जाएगा.
  2. इस अभियान के तीन मॉड्यूल्स हैं – लैंडर, ऑर्बिटर और रोवर.
  3. लैंडर का नाम विक्रम रखा गया है |
  4. रोवर का नाम प्रज्ञान रखा गया है |
  5. चंद्रयान-2 वज़न 3.8 टन है |
  6. मिशन चंद्रयान-2 लागत की लगभग 603 करोड़ रुपए है |

महत्वपूर्ण लॉन्चर और स्पेसक्राफ्ट :

chandrayaan 2
launcher

  1. GSLV Mk-III भारत का अब तक का स्वदेश निर्मित सबसे शक्तिशाली लॉन्चर है।
  2. ऑर्बिटर, चंद्रमा की सतह का निरीक्षण करेगा और पृथ्वी तथा चंद्रयान 2 के लैंडर – विक्रम के बीच संकेत रिले करेगा।
  3. लैंडर विक्रम को चंद्रमा की सतह पर भारत की पहली सफल लैंडिंग के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  4. प्रज्ञान रोवर-रोवर ए आई-संचालित 6-पहिया वाहन है, इसका नाम ”प्रज्ञान” है ।

महत्वपूर्ण तथ्य :

  1. दुनिया का पहला अंतरिक्ष मिशन जो चंद्रमा के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र पर सफलतापूर्वक लैंडिंग का संचालन करेगा | 

  2. पहला भारतीय अभियान, जो स्वदेशी तकनीक से चंद्रमा की सतह पर उतरा जाएगा | 

  3. पहला स्वदेशी मिशन जो देश में विकसित प्रौद्योगिकी के साथ चाँद की सतह के बारे में जानकारियां जुटाएगा |

  4. भारत चंद्रमा की सतह पर रॉकेट उतारने वाला दुनिया का चौथा देश बनेगा |

क्या है मिशन चंद्रयान-2

इसरो के द्वारा कहा गया है कि, ”चंद्रयान-2 चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से पर उतरेगा और उतरने के बाद उस जगह की खोज बीन करेगा. यान को चंद्रमा के उस हिस्से में उतरने में लगभग 15 मिनट लगेंगे और तकनीकि रुप से भारतीय वैज्ञानिको के लिए बहुत मुश्किल क्षण होगा क्योंकि ऐसा करने वाला भारत विश्व का पहला देश होगा |” इसरो का कहना है कि चंद्रयान को लैंडिग के लिए जितने प्रकाश और समतल सतह की जरूरत होती है वो उसे इस हिस्से में मिल जाएगा. साथ ही मिशन के लिए पर्याप्त सौर ऊर्जा भी उसे उस हिस्से में मिल जाएगी.

इसरो का कहना है कि रोवर के लैंडिंग के 15 मिनट के भीतर ही इसरो को लैंडिंग की तस्वीरें मिल सकती हैं साथ ही इसरो वहां मैग्निशियम, कैल्शियम और लोहे जैसे खनिज को खोजने की कोशिश करेगा इसके अलावा
सतह  पर पानी होने के संकेतो की भी तलाशा जायेगा और चांद की बाहरी परत की  जांच भी की जाएगी.”

चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को दोपहर 2.52 बजे  लॉन्च किया जा सकता है. ऐसे में भारत के मिशन चंद्रयान-2 की यात्रा 4 दिन आगे बढ़ जाएगी. यानी पहले चंद्रयान-2 चांद पर 6 सितंबर को पहुंचने वाला था लेकिन 22 को लॉन्चिंग होगी तो यह 11 या 12 सितंबर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचेगा.

Click here to visit our youtube channel

इसे भी पढ़े :