अविश्वास प्रस्ताव के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य | no confidence motion fact

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क्या है नियम अविश्वास प्रस्ताव का ?

no confidence motion : भारतीय संविधान में अविश्वास प्रस्ताव को लेकर कोई जिक्र नहीं किया गया है। परन्तु , अनुच्छेद एक सौ अठारह के अंतगर्त प्रत्येक  सदन अपने नियम व प्रक्रिया बना सकता है। वही, नियम 198 के तहत ऐसी व्यवस्था लागु की गई  है कि जिसमे  कोई भी लोकसभा सदस्य लोकसभा अध्यक्ष को सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे सकता है।

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कैसे अविश्वास प्रस्ताव होता है पारित ?

  • अविश्वास प्रस्ताव पारित कराने के लिए सबसे पहले विपक्षी दल को लोकसभा अध्यक्ष को इसकी लिखित में  सूचना देनी होती है।
  • इसके बाद स्पीकर उस दल के किसी सांसद से इसे पेश करने के लिए कहता हैं।
  • यह बात सदन में तब उठती है जब किसी विपक्षी दल को लगता है कि सरकार सदन का विश्वास या बहुमत खो चुकी है और सरकार जनता के द्वारा दिए गए मत का दुरूपयोग का रही है |

कब मंजूर होता है अविश्वास प्रस्ताव ?

  • विपक्ष द्वारा दिए गए  प्रस्ताव को 50 सांसदों का समर्थन होना चाहिए।
  • जब लोकसभास्पीकर उस नोटिस को मंजूरी देता है तब माना जाता है कि सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आएगा।
  • नोटिस मंजूर किए जाने के 10 दिनों के अंदर सदन में इस पर बहस कराने और मत विभाजन कराने का प्रावधान है।

अब तक कुल कितने प्रस्ताव?

  • अब तक विभिन्न मौकों पर कुल 26 अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा में आ चुके हैं।
  • शुक्रवार को मोदी सरकार के खिलाफ लाये गए
  • अविश्वास प्रस्ताव के साथ अब तक के अविश्वास प्रस्ताव की संख्या कुल 27 हो जाएगी।

पहला और सबसे ज्यादा किसके खिलाफ प्रस्ताव?

  • समाजवादी नेता आचार्य कृपलानी ने 1963 में जवाहर लाल नेहरू सरकार के खिलाफ भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में पहला अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था।
  • जबकि सबसे ज्यादा अविश्वास प्रस्ताव का रेकॉर्ड इंदिरा गांधी सरकार के नाम है
  • जिसके कार्यकाल में 15 बार प्रस्ताव पेश किया गया।
  • 1966 से 1975 के बीच 12 बार और 1981 एवं 1982 में तीन बार उनके खिलाफ प्रस्ताव पेश किया गया।
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