jahaz mahal mandu | जहाज महल मांडू – mp

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jahaz mahal mandu | जहाज महल मांडू :

मध्य प्रदेश में अनेक पर्यटक स्थल है जो कि अलग अलग कारणों से पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते है इन्ही पर्यटक स्थलो में से एक पर्यटक स्थल स्थल है मांडू (mandu) | मांडू को बारिश के मौसम में देखना का एक अलौकिक कि सुकून प्रदान करता है इस मौसम में इसकी प्राकृतिक सौन्दर्यता देखते ही बनती है मांडू में अनेक पर्यटक स्थल है पर उनमे से एक है जहाज महल (jahaz mahal)| जो कि मध्य प्रदेश या भारत में ही नही विश्व भर में अपनी सुन्दरता और बनावट के लिए प्रसिद्ध है तो आइये जानते है जहाज महल मांडू (jahaz mahal mandu) के बारे में विस्तार से….

जहाज महल मांडू :

जहाज महल (jahaz mahal) को “द शिप पैलेस ” के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि इसकी संरचना जहाज के समान है , यह मांडू की सबसे प्रसिद्ध इमारतों में से एक है। यहाँ शानदार सूर्यास्त नीचे घाटी को देखता है। यह मांडू शासक बाज बहादुर की पौराणिक और दुखद रोमांटिक कहानी के लिए प्रसिद्ध है जिसे अकबर की अग्रिम टुकड़ियों और सुंदर हिंदू गायक रूपमती के कारण भागना पड़ा था।

भारत की सबसे नायाब इमारतों में से एक माण्डव का जहाज़ महल (jahaz mahal mandu) है। इसे देखकर ऐसा लगता है जैसे किसी कवि ने माण्डव के कैनवास पर प्रेम की कोई कविता रची हुई हो। कपूर और मुंज सागर तालाब के बीच निर्मित यह इमारत गहरे समुद्र में लंगर डाले, किसी विशाल जहाज़ सा प्रतीत होता है। इस तरह की कोई इमारत कहीं और देखने को नहीं मिलती। बारिश के दिनों में इसकी सुंदरता और कलात्मकता अपने चरम पर होती है। यह माना जाता है कि इस खूबसूरत इमारत का निर्माण 15वीं सदी में सुल्तान गयासुद्दीन खिलजी ने अपने हरम की 15 हज़ार बेगमों के लिए करवाया था। जहाज़ महल के स्थापत्य और शिल्प पर हिन्दू प्रभाव स्पष्ट नज़र आता है।

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आर्किटेक्चर :

  • इस दो मंजिला इमारत की लम्बाई 121 मीटर और चौड़ाई 15.2 मीटर है। इसकी निचली मंज़िल में तीन विशाल कक्ष हैं, जिनके बीच में गलियारे बने हुए हैं। इनके पास बेगमों के नहाने के लिए एक कुंड बनवाया गया था। गलियारों के पास बने कमरों के पीछे विशाल मंडप बना है, जहाँ से मुंज सागर का मनमोहक दृश्य दिखाई देता है। जिस तरह जहाज़ में चढ़ने के लिए सीढ़ियां बनाई जाती है, ठीक उसी तरह इस इमारत में भी पत्थरों की कलात्मक सीढ़ियों का निर्माण किया गया है। पूरी इमारत जहाज़ के रूप में बनायी गयी है। पहली मंजिल पर दोनों तरफ विशाल मंडप और कक्ष स्थित हैं।
  • इसकी छत 62 मीटर लम्बी और 14 मीटर चौड़ी है। इसकी दोनों मंज़िलों में कमल आकृति का कुंड बना हुआ है, जिसमें रहट तकनीक से पानी चढ़ाया जाता था। दोनों कुंडों में करीब 30 हज़ार लीटर पानी भरा जा सकता है। यह अकेली ऐसी इमारत है, जिसकी छत और दीवारों में प्लास्टर किया गया है। जहाँ माण्डव में बनी अन्य इमारतों में चूना, गारा और ईंट के पाउडर का इस्तेमाल किया गया है, वहीं इस इमारत के निर्माण में पत्थरों को लोहे की क्लैम्पिंग कर जोड़ा गया है। जहाज़ महल के सम्बन्ध में कहा जाता है कि 15 हज़ार बेगमों के साथ गयासुद्दीन खिलजी ने इस महल में पूरा एक शहर बसा रखा था, जिन्हें गायन, वादन, नृत्य, तैराकी और कुश्ती का प्रशिक्षण दिया जाता था। महल की सम्पूर्ण व्यवस्था महिलाओं हाथों में थी । प्रत्येक महिला को दो टका और दो मन अनाज, वेतन के रूप में मिलता था।

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