कंप्यूटर में लैंग्वेज ट्रांसलेटर | Language translator in Computer

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Language translator in Computer :

किसी भी प्रकार के computer system में उपयोग मे लाए जा रहे hardware एवं processor के binary code  पर ही कार्य करते है, इस कारण से hardware को केवल machine language का उपयोग करके ही operate किया जा सकता है। परन्तु machine language का उपयोग करके वर्तमान समय की आवष्यकताओं के अनुरूप Software नही बनाए जा सकते है। user की आवष्यकताओं के अनुरूप language को विकसित किया गया है किसी भी programming  language के program को बनाने के उपरांत उस run करवाने के लिए program को machine code  में परिवर्तन करना होता है। इस जटिल कार्य के लिए language translator उपयोग मे लाए जाते है।

language  translator ऐसे system Software होते है जो किसी programming  language में बनाए गए program को binary code में परिवर्तित कर run करवाते है। अलग अलग programming language के अनुसार विभिन्न प्रकार के language translator उपयोग मे लाए जाते है, जो की निम्न है।

Assembler  :

यह 2nd Generation की language के लिए उपयोग मे लाए जाने वाले language translator होता है जो Assembly  language के program को binary code में परिवर्तित करता है। Assembly दिए गए program के सभी Mnemonics को उनसे संबंधित operational code  से check करता एवं उन्हें यह पता लगाता है कि दिया गया Mnemonics सही है या नही इस प्रकार Assembler दिए गए program में Error  check करता है।

  • Assembler द्वारा अपनी language की एक Mnemonics table बनाकर रखी जाती हे।
  • Mnemonics  के साथ उनके operation code  रखे जाते है।
  • assembler के द्वारा program को read किया जाता है एवं सभी Mnemonics को check किया जाता है
  • यदी किसी Mnemonics  का Mnemonics  का operation code  नही प्राप्त होता है तब उस instruction  में Error होती है। assembler एक के बाद एक सभी instruction  को check करता है
  • यदि किसी भी instruction  में Error  प्राप्त होता है तब program के run को रोक दिया जाता है।
  • परन्तु user को Error  दर्षायी नही जाती है।
  • इस प्रकार assembler में जब तक program की सभी Error दुर नही कर दी जाती है
  • तब तक program को run नही कर करवाया जा सकता है।
  • assembler में  program को उसके प्रत्येकं बार run करवाने के दौरान check करता है।
  • assembler का उपयोग करके program की object  code  file नही बनाई जा सकती है।

Compiler :

Generation वाली programming language या HLL के लिए उपयोग मे लाया जाने वाला language translator होता है। अपनी language के समान ही assembler की तुलना मे अधिक विकसित होता है। Compiler द्वारा प्राप्त किए गए HLL के program को language की grammer के अनुसार check किया जाता है। एवं run करवाया जाता है। program  run पुरा होने के पश्चात output को user के लिए प्रदर्शित किया जाता है। Compiler द्वारा किसी भी program में आने वाली Error  को line No. के साथ प्रदर्शित किया जाता है। Compiler में इसकी कार्यप्रणाली को व्यवस्थित बनाने के लिए एक Intermediated code  निर्धारित किए जाते है, जो language की grammer को परिभाषित करते है।

  • Compiler दिए गए program को एक के बाद एक line के अनुसार read करता है
  • सम्पूर्ण program को check करता है।
  • इस प्रक्रिया के दौरान Compiler द्वारा program के सभी instruction  के लिए Intermediated code बना दिए जाते है और इन IC के आधार पर Error को बीमा किया जाता है।
  • जिस भी line में Error  होती है तब line  बना दिए जाते है
  • इन IC के आधार पर Error  को check किया जाता है।
  • जिस भी line में error होती है तब line के साथ error का प्रकार दर्षाया जाता है।
  • compiler एक समय पर पुरे programके लिए code  file बना देता है,
  • इस कारण से program के एक से अधिक बार run  करवाने पर भी इसे पुनः check करने की आवष्यकता नही होती है।
  • Compiler  की सहायता से program object code की file बनाई जा सकता है। exe file कहते है।
  • इस file का उपयोग करके program के Compiler की सहायता के बिना run करवाया जा सकता हे।
  • यही कारण है कि अन्य सभी language translator की तुलना Compiler का उपयोग सबसे अधिक किया जाता है।

Translator –

यह एक तेज वाला language translator होता है जिसमें किसी भी program के statement  को सीधे ही hardware के instruction के रूप में परिवर्तित किया जाता है। interpreter का उपयोग HLL के लिए किया जाता है। Translator द्वारा दिए गए program के instruction  को एक बाद एक read किया जाता है। read करने के साथ ही उस instruction  के syntax को check किया जाता है, यदि वह instruction  सही पाया जाता है, जब उस instruction  से सम्बन्धित कार्य के लिए तुरंत hardware को निर्देष दिया जाता है, इस प्रकार interpreter दिए गए instruction  को check करने के साथ ही कार्य को गतिषील रखता है |

यदि program के किसी instruction  में Error प्राप्त होती है तब interpreter अपनी प्रक्रिया को रोक देता है एवं line no के साथ Error  के प्रकार को दर्षाता है। interpreter के उपयोग से किसी भी ऐसे program को ही run करवाया जा सकता है, जो पूर्ण रूप से Error  से मुक्त हो। Translator और Compiler में मुख्यः अंतर होता है कि interpreter पूरे program को एक साथ check नही करते है और साथ ही यह program के लिए intermidiate code  की file   नही बनता है इस कारण से interpreter में program को प्रत्येंक run के दौरान उपयोग मे लाना होता है। interpreter का मुख्य उपयोग hardware Application मे तथा operating system में अधिक होती है।

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