समास की परिभाषा | Samas Ki Paribhasha

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समास  की परिभाषा/Samas Ki Paribhasha

Samas Ki Paribhasha : जब दो अथवा दो से अधिक शब्दों को जोड़ने से एक नया शब्द बन जाता है तब शब्दों के इस योग को समास कहा जाता है।

उदाहरण  :
कार्यकुशल यह शब्द कार्य और कुशल दो अलग अलग शब्दों से मिलकर बना है जिसका अर्थ होता है किसी कार्य में पारंगत होना ।
समास छ: प्रकार के होते है जो कि इस प्रकार है :
  1. अव्ययीभाव समास
  2. बहुव्रीहि समास
  3. तत्पुरुष समास
  4. कर्मधारय समास
  5. द्विगु समास
  6. द्वंद्व समास

अव्ययीभाव समास

जिस समास में पहला पद प्रधान हो उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं।
उदाहरण  :
आजीवन – जीवन-भर
यथाशक्ति – शक्ति के अनुसार
यथाविधि- विधि के अनुसार

बहुव्रीहि समास

इस समास में कोई पद प्रधान नहीं होता है , उसे बहुब्रिही समास कहते हैं।
उदाहरण  :
चतुभुर्ज चार भुजाएँ जिसकी अर्थात् विष्णु जलज – जल में उत्पन्न होने वाला अर्थात् कमल।

तत्पुरुष समास

जिस समास में दूसरा पद प्रधान हो , उसे तत्पुरुष समास कहते हैं।
उदाहरण  : 
तुलसीदासकृत = तुलसी द्वारा कृत (रचित)

कर्मधारय समास

जिस समास में दोनों पद प्रधान होते है और इस समास में पद के माध्यम से व्यक्ति या वस्तु विशेषता बताई जाती है वहाँ कर्मधारय समास होता है।

उदाहरण  : 

चन्द्रमुख – चन्द्रमा के सामान मुख वाला
नीलकमलनीला कमल

द्विगु समास

जिस समास का पहला पद संख्यावाचक हो वहाँ द्विगु समास होता हैं।
उदाहरण  :
नवग्रह  –   नौ ग्रहों का समूह
नवरत्न –   नौ रत्नों का समूह

द्वंद समास

जिस समास में दोनों पद प्रधान होता है वहाँ  द्वंद समास होता है। और समास को विग्रह करने पर बीच में ‘और’ / ‘या’ का बोध होता है |

उदाहरण  : 

माता-पिता
सुख-दुःख
भाई-बहन
मार-पीट

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