मध्य प्रदेश में नगरीय शासन | Urban governance in Madhya Pradesh

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नगरीय शासन ( सामान्य परिचय )

भारत में स्थानीय स्वशासी संस्थाओ के विद्यमान स्वरूप का आगमन जेम्स II के द्वारा बम्बई , कलकत्ता और मद्रास में नगर पालिका निगमों को इंग्लिश पद्धति पर 1687 ई. में किया गया इसके कुछ वर्षों के बाद 1726 में कलकत्ता और बम्बई में मेयर कोर्ट्स का आरम्भ किया गया तथा 1 NOV 1956 को म. प्र. राज्य की स्थापना के बाद म.प्र. नगर पालिका अधिनियम , 1956 लागु किया गया | केन्द्र सरकार द्वारा 74वाँ संविधान संशोधन पारित किए जाने के बाद 19 जनवरी  1994 को लोहानी की अध्यक्षता में राज्य निर्वाचन आयोग का गठन किया इस आयोग द्वारा नवम्बर-दिसम्बर,1994 में समस्त नगर निकायों (Urban governance) के निर्वाचन संपन्न कराए गए |  वर्तमान में म.प्र. में त्रिस्तरीय नगर निकाय (Urban governance) विद्यमान है |

नगर पंचायत

  1. नगरीय क्षेत्र की यह स्वायत्त संस्था उन संक्रमणीय क्षेत्रो के लिए है ,जो ग्रामीण क्षेत्र से नगरीय क्षेत्र की तरफ परिवर्तित हो रहे है |
  2. म.प्र. में ऐसे सभी क्षेत्रो में नगर पंचायते गठित की गई है , जिनकी जनसँख्या 5000 से 20000 के मध्य है |
  3. वर्तमान में म. प्र. में नगर पंचायतो की कुल संख्या 263 है |

 

नगर पालिका परिषद

  1. नगरीय क्षेत्र की यह संख्या उन लघु स्तरीय नगरीय क्षेत्रो के लिए गठित की गई है , जिनकी जनसंख्या 20000 से अधिक है |
  2. नगर पालिका परिषद के लिए जनसख्या की कोई उच्चतम सीमा निर्धारित नही की गई है |
  3. वर्तमान में नगर पालिका परिषदो की कुल संख्या 100 है |

 

नगर निगम

  1. वर्तमान म. प्र. में नगर निगमो की कुल संख्या 16 है |
  2. प्रदेश में नगर निगम में महापौर की व्यवस्था है  |
  3. 1999 में जारी एक अध्यादेश के तहत पहले से चले आ रहे उप-महापौर के पद को समाप्त कर दिया गया है |

 

नगर निकायों का कार्यकाल तथा प्रशासन

  1. संविधान के अनुच्छेद 243 के अनुसार निर्वाचित परिषदों का कार्यकाल प्रथम अधिवेशन से 5 वर्ष तक होगा |
  2. कार्यकाल के मध्य में निर्वाचित परिषद के भंग होने की स्थिति में 6 माह के अंदर परिषद का पुनर्निर्वाचन होना आवश्यक है |
  3. म.प्र. में नगर निगम के लिए महापौर तथा नगरपालिका के अध्यक्ष के पदों की व्यवस्था की गई  |
  4. राज्य शासन द्वारा आयुक्त तथा मुख्य न्यायपालिका अधिकारी की नियुक्ति की जाती है |

नगरीय निकायों के अनिवार्य कार्य

  1. सफाई , नाली निर्माण एवं रख-रखाव  |
  2. सड़क निर्माण , सडक की रौशनी |
  3. अग्निशंमन ,जल प्रदाय|
  4. सार्वजनिक शौचालय |
  5. सार्वजनिक बाजारों एवं वधशालाओ की व्यवस्था|

विवेकाधिन कार्य

  1. गन्दी बस्ती सुधार |
  2. पुस्तकालय , वाचनालय की व्यवस्था |
  3. सार्वजनिक बाग |
  4. सार्वजनिक स्नानागार आदि की व्यवस्था|

अतिरिक्त कार्य

  1. आर्थिक एवं सामाजिक विकास योजना |
  2. नगरीय वानिकी एवं पर्यावरण संरक्षण |
  3. भवन निर्माण |
  4. समाज के कमजोर वर्ग एवं विकलांगो के हितों की रक्षा करना |

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