नागरिकता संशोधन बिल के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य | Fact About Citizenship Amendment Bill

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नागरिकता संशोधन बिल :

CAB का पूरा नाम Citizenship Amendment Bill ( नागरिकता संशोधन बिल ) है, इसे लोकसभा द्वारा 8 जनवरी 2019 को पारित किया गया था।  लेकिन 16 वीं लोकसभा के विघटन के साथ ही यह समाप्त हो गया ।

Fact About Citizenship Amendment Bill :

  1. CAB का पूरा नाम Citizenship Amendment Bill ( नागरिकता संशोधन बिल ) है |
  2. CAB को 19 जुलाई 2016 को लोकसभा में नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2016 के रूप में पेश किया गया था।
  3. इसे 12 अगस्त 2016 को संयुक्त संसदीय समिति को भेजा गया था ।
  4. संयुक्त संसदीय समिति ने 7 जनवरी 2019 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की ।
  5. जनवरी 2016 में, नागरिकता (संशोधन) विधेयक को नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन के लिए पेश किया गया था।
  6. इसे लोकसभा द्वारा 8 जनवरी 2019 को पारित किया गया था।  लेकिन 16 वीं लोकसभा के विघटन के साथ ही यह समाप्त हो गया ।
  7. यह 2019 का प्रशस्ति पत्र बिल नंबर 370 था |
  8. इसे राज्यसभा द्वारा 11 दिसंबर 2019 को अधिनियमित किया गया |
  9. इसे लोकसभा द्वारा अधिनियमित 10 दिसंबर 2019 को अधिनियमित किया गया |
  10. 9 दिसंबर 2019 को इस बिल को प्रकाशित किया गया |
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  1. इस बिल को केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा प्रस्तुत किया गया |
  2. इस बिल का पहली बार वाचन 9 दिसंबर 2019 को किया गया |
  3. दूसरा पठन इस बिल का 10 दिसंबर 2019 को किया गया |
  4. इस बिल का तीसरी रीडिंग 11 दिसंबर 2019 को किया गया |
  5. यह बिल नागरिकता अधिनियम 1955 में बदलाव करेगा   |
  6. यह बिल बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान समेत आस-पास के देशों से भारत में आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी धर्म वाले लोगों को नागरिकता दी जाएगी |
  7. नागरिकता बिल में इस संशोधन से मुख्य रूप से छह जातियों के अवैध प्रवासियों को सबसे अधिक फायदा होगा |
  8. इससे पहले गृह मंत्रालय ने वर्ष 2018 में अधिसूचित किया था कि सात राज्यों के कुछ जिलों के अधिकारी भारत में रहने वाले पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से सताए गए अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करने के लिए ऑनलाइन आवेदन स्वीकार कर सकते हैं |
  9. राज्यों और केंद्र से सत्यापन रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद उन्हें नागरिकता दी जाएगी. इसमें भारत की नागरिकता पाने के लिए 12 साल के निवास की जगह अब अवधि सात साल हो जाएगी |
  10. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 244 में इसका प्रावधान किया गया है. संविधान सभा ने 1949 में इसके ज़रिए स्वायत्त ज़िला परिषदों का गठन करके राज्य विधानसभाओं को संबंधित अधिकार प्रदान किए थे |

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