जैन धर्म के तीर्थंकरो की सूची
Jain Tirthankaras : जैन धर्म में तीर्थंकरो का बड़ा ही महत्त्व है। जहाँ ‘तीर्थ’ का अर्थ है, जिसके द्वारा संसार रूपी समुद्र तरा जाए । जो संसार रूपी सागर से पार लगाने वाले तीर्थो की रचना करते है, वह तीर्थंकर कहलाते हैं। तीर्थंकर जो व्यक्ति क्रोध, अभिमान, छल, इच्छा, आदि पर पूरी तरह से विजय प्राप्त कर ले उसे ही तीर्थंकर कहा जाता है । जैनों में अब तक कुल 24 तीर्थंकर हुए है जिनकी सूची इस प्रकार है …..
List of Jain Tirthankaras :
क्रमांक | तीर्थंकर | प्रतीक चिन्ह |
---|---|---|
01 | भगवान ऋषभदेव (आदिनाथ) जी | सांड या बैल पुंडरिक |
02 | अजितनाथ जी | हाथी सिंहसेना |
03 | सम्भवनाथ जी | घोड़ा चारू |
04 | अभिनन्दननाथ जी | बन्दर वज्रनाभा |
05 | सुमतिनाथ जी | चकवा या लाल हंस |
06 | पद्मप्रभु जी | कमल प्रद्योतना |
07 | सुपार्श्वनाथ जी | स्वस्तिक विदिर्भा |
08 | चन्द्रप्रभु जी | चन्द्रमा दिन्ना |
09 | पुष्पदन्त जी | मगरमच्छ वाराहक |
10 | शीतलनाथ जी | कल्पवृक्ष |
11 | श्रेयान्सनाथ जी | गैंडा कश्यप |
12 | वासुपुज्य जी | भैंस सुभूमा |
13 | विमलनाथ जी | सूअर मंडरा |
14 | अनन्तनाथ जी | साही जस |
15 | धर्मनाथ जी | वज्रदण्ड अरिष्ट |
16 | शांतिनाथ जी | हिरण चक्रयुद्ध |
17 | कुन्थुनाथ जी | बकरी संबा |
18 | अरहनाथ जी | मछली कुम्भ |
19 | मल्लिनाथ जी | कलश अभिक्षक |
20 | मुनिसुव्रतनाथ जी | कछुआ मल्लि |
21 | नमिनाथ जी | नीलकमल शुभ |
22 | नेमिनाथ जी | शंख वारादत्ता |
23 | पारसनाथ जी | सर्प आर्यदिन्ना |
24 | महावीर स्वामी जी | सिंह इन्द्रभूति |