जानिए निपाह वायरस के बारे में | know fact about nipah virus

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परिचय :

केरल राज्य में एक बार फिर से निपाह वायरस (nipah virus) ने फिर से दस्तक दि है और जब से एक छात्र में निपाह वायरस होने की पुष्टि के बाद लोगों में दहशत है. केरल में कुल 86 लोगों में निपाह की आशंका के मद्देनजर उनके स्वास्थ्य की जांच की जा रही है. साथ ही छात्र के संपर्क में आने वाले 4 लोगों की निगरानी की जा रही है. इनमें दो छात्र के दोस्त हैं और दो नर्स जिसने उसका इलाज किया था. ऐसे में निपाह के केरल के रास्ते दूसरे राज्यों में भी फैलने की आशंका जताई जा रही है. हम आपको बता दें कि 2018 में भी केरल में निपाह वायरस (nipah virus) ने पैर पसारे थे और कई लोगों की मौत हो गई थी |

निपाह वायरस क्‍या है?

WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के मुताबिक, निपाह वायरस चमगादड़ से फलों में और फलों से इंसानों और जानवरों पर हमला करता है। फ्रूट बैट नामक चमगादड़ यदि किसी फल को खा लेता  हैं और उसी फल या सब्जी को कोई इंसान या जानवर खा लेता  है तो ये वायरस फैलने लगता है। इसकी चपेट में आने वालों का डेथ रेट 74.5 फीसदी होता है। इससे वायरस से  प्रभावित इंसान या जानवरों को इससे बचाने के लिए कोई वैक्सीन नहीं है। इससे प्रभावित शख्स को सीधे आईसीयू में रखकर इलाज करना होता है।

 यह  (NiV) एक zoonotic virus (ऐसा virus जो की इंसानों को transmit होता है पशुवों से) है. इस virus से पीड़ित मरीजों में बहुत से प्रकार के लक्षण दिखाई पड़ती हैं जैसे की asymptomatic (subclinical) infection से लेकर साँस लेने में तकलीफ और दिमागी बुखार जैसे बीमारी. इसके अलावा ये वायरस अन्य पशुओं को भी अपना शिकार बनाता है जैसे की शुअर , चमगादड इत्यादि, जिससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है |

 निपाह वायरस के लक्षण

  • बुखार, सिरदर्द, म्यालगिया की अचानक शुरुआत, उल्टी, सूजन, विचलित होना और मानसिक भ्रम शामिल हैं.
  • संक्रमित व्यक्ति 24 से 48 घंटों के भीतर कॉमेटोज हो सकता है.
  • निपाह एन्सेफेलाइटिस की मृत्यु दर 9 से 75 प्रतिशत तक है.
  • निपाह वायरस संक्रमण के लिए कोई प्रभावी उपचार नहीं है.
  • उपचार का मुख्य आधार बुखार और तंत्रिका संबंधी लक्षणों के प्रबंधन पर केंद्रित है.
  • संक्रमण नियंत्रण उपाय अहम हैं, क्योंकि व्यक्तिगत रूप से ट्रांसमिशन हो सकता है.
  • गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को गहन देखभाल की जरूरी है |

 क्या यह वायरस 48 घंटे में कोमा में भेज सकता है?

  • इस इंफेक्शन से पीड़ित मरीज को अगर तुरंत इलाज न मिले तो 48 घंटे के अंदर मरीज कोमा में जा सकता है।
  • WHO की मानें तो इस वायरस से लड़ने के लिए अब तक कोई टीका (वैक्सीन) विकसित नहीं किया गया है
  • इस वायरस से पीड़ित मरीजों को इंटेसिव सपॉर्टिव केयर देकर ही इलाज किया जा सकता है।

 निपाह वायरस से बचाव के उपाय

  • यह वायरस के इंफेक्शन से बचने के लिए बीमार सुअर, घोड़े, पेड़ से गिरे फल और ताड़ी से दूर रहें।
  • कोई फल और सब्जी खरीदें तो ध्यान रखें कि ये कहीं से कटा या खुंरचा हुई न हो। साथ ही पेड़ों से गिरे फल या खुले में टंगी मटकी वाली ताड़ी का सेवन न करें।

 निपाह वायरस पहली बार कहाँ  पाया गया ?

  • पहली बार 1998 में मलेशिया के कांपुंग सुंगई निपाह में इसके मामले सामने आए थे।
  • इसीलिए इसे निपाह वायरस नाम दिया गया। पहले इसका असर सुअरों में देखा गया।
  • बांग्लादेश में 2004 में इस वायरस के प्रकोप के मामले सामने आए थे।
  • बताया जा रहा है कि केरल में यह पहली बार फैला है।

Key Fact Of Nipah Virus

  1. Nipah virus एक RNA virus है जो की Paramyxovidae  family का एक हिस्सा है |
  2. यह एक zoonotic pathogen है जो की पशुओं में respiratory illness करती है वहीँ इंसानों में दिमागी बुखार को उत्पन्न करती है |
  3. इस बीमारी के बारे में सबसे पहले सन 1998 में Malaysia में पता चला. उसके बाद सन 1999 में Singapore में |
  4.  मुख्य रूप से पालतू पशुओं को Nipah virus अपना शिकार बनाती है |
  5. WHO ने अपने Blueprint priority diseases की लिस्ट में Nipah virus को स्थान दिया है |

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